''चाचा ने हमें घर में बंद कर दिया, फिर बंदूक दिखाई और कहा कि शोर मचाओगे तो गोली मार दूंगा। हम सब बहुत डर गए थे।'' यह बात कहते वक्त 15 साल की अंजली कश्यप की आंखों में खौफ साफ नजर आता है। अंजली फर्रुखाबाद के करथिया गांव की रहने वाली हैं। यह वही गांव है जहां हत्या के जुर्म में जेल काट चुके एक शख्स ने 23 बच्चों को बंधक बना लिया था। इन बच्चों में अंजली भी शामिल थी।
गंगा के किनारे बसा उत्तर प्रदेश का फर्रुखाबाद जिला तांबे-पीतल के बर्तन, नमकीन और आलू की खेती के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन 30 जनवरी को यह जिला अलग ही कारणों से सुर्खियों में आ गया। फर्रुखाबाद के करथिया गांव के रहने वाले सुभाष बाथम (करीब 42 साल) ने अपनी डेढ़ साल की बेटी के नाम की फर्जी जन्मदिन पार्टी आयोजित की और इस पार्टी में आए 23 बच्चों को घर में ही बंधक बना लिया। करीब 9 घंटे की जद्दोजहद के बाद पुलिस ने सुभाष को शुक्रवार की सुबह मार गिराया। इसके ठीक बाद उसकी पत्नी रूबी (करीब 24 साल) को लोगों ने इतना मारा कि उसकी मौत अस्पताल में हो गई। पुलिस ने रूबी की हत्या मामले में 300 अज्ञात लोगों पर धारा 302 (हत्या) के तहत केस दर्ज किया है।
इस घटना के बाद से ही करथिया गांव में सभी सकते में हैं। खासकर जिन बच्चों को सुभाष ने बंधक बनाया था वो अभी भी डरे हुए हैं। इन्हीं बच्चों में से एक है 13 साल की सोनी कश्यप। इस घटन के बाद से ही सोनी कश्यप रात में सो नहीं पाती है। सोनी की घर वाले बताते हैं उसके मन में डर बैठ गया है। सोनी बताती है, ''चाचा उस दिन बहुत गुस्से मे थे। बार-बार मार देने की धमकी देते। हमें घर में ही एक अंधेरी सी कोठरी में बंद कर दिया था। उसमें लाइट नहीं थी। कुछ भी पता नहीं चला रहा था कि क्या हो रहा है।''
सुभाष ने बच्चों को घर में ही बने एक तहखाने में बंद किया था। यह तहखाना उसके कमरे के नीचे था, जहां तक लकड़ी की सीढ़ी से जाना होता है। 23 बच्चों में 1 साल के बच्चे से लेकर 15 साल तक के बच्चे शामिल थे। तहखाने में सुभाष के पड़ोस की रहने वाली बब्ली के भी तीन बच्चे बंद थे।
बब्ली कहती हैं, ''सुभाष और उसकी पत्नी ने मिलकर खुद ही यह तहखाना बनाया था। साल भर पहले इसे बनाया और तब किसी भी मजदूर या मिस्त्री को नहीं रखा गया था। मैंने एक बार पूछा कि तहखाने की क्या जरूरत है तो सुभाष की पत्नी रूबी ने कहा था अनाज और घर का सामान रखने के लिए अच्छी जगह बन गई है।'' बब्ली कहती हैं, ''कभी पता नहीं था कि तहखाने का इस्तेमाल इसलिए करना था।''
पुलिस के मुताबिक, सुभाष शातिर किस्म का अपराधी था। वो इस तहखाने का इस्तेमाल अपनी लैबोरेट्री के तौर पर करता। करीब 8 साल जेल में काटने वाला सुभाष कई तरह के बम बना लेता था। करथिया गांव के ही 14 साल के विनीत कुमार को भी सुभाष ने बंधक बनाया था। विनीत बताता है, ''तहखाने में हम जहां बैठे थे वहां तार बिछे हुए थे। अंधेरा था तो साफ तरह से कुछ दिख नहीं रहा था। चाचा बार-बार आते और तारों के साथ कुछ करके जाते। हमारे साथ अंजली भी थी जिसने बाद में सिलेंडर से लगे एक तार को निकाला था। हमें बाद में बताया कि वो भी बम था।''
करीब 9 घंटे चले ऑपरेशन के बाद पुलिस ने सुभाष को मार दिया और सभी बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया। बाद में पुलिस को तहखाने से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री मिली। पुलिस के मुताबिक, सुभाष के घर से एक देसी रायफल, एक देसी तमंचा, 20 जिंदा कारतूस, 15 किलो का सिलेंडर बम, 135 देसी बम, 4 बड़े देसी बम, 4 मिडियम देसी बम, एक पेंट डिब्बा बम बरामद किया गया।