हमारी कुछ मिनटों की खुशी, कहीं इन जानवरों की न बढ़ा दे परेशानी

कुछ कुत्ते व बिल्लियां तेज़ आवाज़ और उस से होने वाली वाइब्रेशन से इतना डर जाते हैं की वह कांपने तक लगते हैं। कुछ शॉक में रहते हैं और कोने में छिप जाते हैं तो कइयों में लगातार पेशाब की समस्या बनी रहती है।

Update: 2018-11-05 10:55 GMT

लखनऊ। दिवाली के तीन दिन बचे हैं पर सूरज अभी से ही अपने घर के आखिरी कमरे में पड़ी तख़त के नीचे छुप कर बैठा है। सूरज ही नहीं, शाम होते ही सूरज जैसे कई कुत्ते व बिल्लियां हमारे कुछ मिनटों की खुशियों के लिए जलाए जाने वाले पटाखों के शोर से डर कर कोने पकड़ लेते हैं और शोर के ख़त्म होने का इंतज़ार करते हैं।

"हर वर्ष दीपावली के आस-पास जानवरों, खासकर ज़ख़्मी कुत्तों के उपचार के लिए हमारे पास कॉल आते हैं। औसतन इस समय प्रति दिन 20 केस आ ही जाते हैं, जिसमे दस तो पटाखों से जलने या डरकर गंभीर स्थिति में पहुंचे जानवर होते हैं, "पशुओं के लिए काम करने वाली संस्था, जीव आश्रय से अमित सहगल बताते हैं।

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"पालतू कुत्ते तो फ़िर भी घरो में होने के कारण सुरक्षित रहते हैं, लेकिन थोड़ी सावधानी बरत कर सड़क पर रहने वाले आवारा पशुओं का भी ध्यान रख सकते हैं। कुत्तो की सुनने की क्षमता मनुष्यों और अन्य जीवों से ज़्यादा होती है इसलिए उन्हें तेज़ आवाज़ वाले पटाखों से हुए अनुमान से अधिक तकलीफ होती है। यदि कोई जानवर डरा-सहमा दिखे तो उसके पास बैठकर कुछ खाने के लिए दे सकते हैं और अगर वो ज़ख़्मी हो तो पशु चिकित्सक के पास भी ले जाएं," डॉक्टर विनय कुमार आगे बताते हैं।

लगभग तीस वर्षों से स्वान (कुत्तों) व बिल्लियों का उपचार करने वाले डॉक्टर विनय कुमार गुप्ता त्यौहार के वक़्त इन बातो का ध्यान रखने की सलाह देते हैं-

हर जानवर में अलग हो सकते हैं परेशानी के लक्षण

कुछ कुत्ते व बिल्लियां तेज़ आवाज़ और उस से होने वाली वाइब्रेशन से इतना डर जाते हैं की वह कांपने तक लगते हैं। कुछ शॉक में रहते हैं और कोने में छिप जाते हैं तो कइयों में लगातार पेशाब की समस्या बनी रहती है। ये कई दिनों तक खाते नही हैं और कुछ काफी आक्रामक होकर भौंकते भी हैं। 

अकेला न छोड़ें

त्यौहारों के वक़्त जब सारा परिवार इकठ्ठा होता है तो पशुओं को भी पारिवारिक गतिविधियों में अधिक से अधिक शामिल करना चाहिए न कि उन्हें किसी अलग जगह बांध कर रखना चाइये। साथ रहने से भी उनका डर कुछ काम हगा और वो बेहतर महसूस करेंगे। 

ऐसे भटकायें ध्यान

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के लिए रात आठ से दस बजे तक का वक़्त निर्धारित किया है तो उस दौरान अपने पशु-मित्रों को घर के अंदर रख कर खिड़कियां, दरवाज़े बंद रखें। तेज़ आवाज़ में टीवी चलाएं या लाउड म्यूजिक का इस्तेमाल करें। इस से पटाखों की आवाज़ कुछ काम सुनाई देगी।

मन शांत करने वाली दवाये भी हैं उपलब्ध

लगातार होने वाले तेज़ आवाज़ और शौक से बचाने के लिए जानवरों के लिए 'कामनेस मेडिसिन्स' भी उपलब्ध होती हैं जिन्हें पशु चिकित्सक की सलाह से पशुओं को दिया जा सकता है।  

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