डेंगू और मलेरिया से निपटने के लिए मछलियों का सहारा, गंबूसिया मछली खाती मच्छरों का लार्वा

डेंगू और मलेरिया समेत मच्छर जनित बीमारियों के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए यूपी के कन्नौज में तालाबों में विशेष मछलियां डलवाई जा रही हैं। ये गंबूसिया मछलियां मच्छरों का लार्वा खाती हैं।

Update: 2021-09-14 12:01 GMT

गंबूसिया मछली को Mosquitofish मच्छर मछली भी कहा जाता है, ये मछलियां मच्छरों का लार्वा खाती हैं।

कन्नौज (उत्तर प्रदेश)। यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश समेत कई राज्य इन दिनों मच्छर जनित बीमारियों डेंगू और मलेरिया से परेशान हैं। यूपी के फिरोजाबाद समेत कई जिलों में इन बीमारियों ने आतंक मचा रखा है। मच्छरों पर काबू पाने के लिए फॉगिंग और दूसरी व्यवस्थाओं के साथ ही कन्नौज में मछलियों का सहारा लिया जा रहा है।

मच्छरों का लार्वा खत्म करने वाली गंबूसिया यानि गंबूजिया मछली को तालाबों में छोड़ा जा रहा है। मंगलवार को कन्नौज में बदायूं जिले से कुछ मछलियों को मंगाकर तालाबों में छुड़वाया गया है। ये मछलियां मुख्य रुप से पश्चिम बंगाल से मंगाई जाती हैं। आम बोल चाल की भाषा में इन्हें कई जगह मच्छर मछली (Mosquitofish) भी कहा जाता है। 

कन्नौज के जिलाधिकारी राकेश मिश्र ने बताया, "तालाबों में डालने के लिए गंबूसिया मछलियां मंगवाई गई हैं। फिलहाल बदायूं से मछलियों के पैकेट मंगाए गए हैं।"

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बदायूं से मंगाकर गंबूसिया मछली Gambusia fish को तालाबों में डलवाते अधिकारी। फोटो- अजय मिश्रा

मछली विभाग ने जिला मलेरिया अधिकारियों को दी मछली पालने की सलाह

कानपुर के सहायक निदेशक मत्स्य और कन्नौज व फर्रुखाबाद जिलों का अतिरिक्त प्रभार देखने वाले एनके अग्रवाल ने दोनों ही जनपदों के जिला मलेरिया अधिकारी को जारी किए पत्र में कहा है, 'गंबूसिया मछली (Gambusia fish) का प्राकृतिक भोजन मच्छरों का लार्वा है। जहां जापानी इन्सेफ्लाइटिस एवं एईएस नाम बीमारी बार-बार होने का इतिहास है और रुके हुए पानी में जहां मच्छर प्रजनन करते हैं व गंबूसिया मछली के संचयन से मच्छरों की संख्या पर जैविक विधि से रोक लगाई जा सकती है।'

उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि 'उत्तर प्रदेश में यह मछली नहीं होती है। दूसरे प्रदेशों से खरीदना पड़ता है। मांग अधिक होने की वजह से दाम में बढ़ोत्तरी हो रही है। एक तालाब में 200 से 500 मछली तक डाली जाती है। इसकी आपूर्ति कोलकाता से ही संभव है।'

कन्नौज के एक तालाब में मंगलवार को मछलियां डालते जिलाधिकारी राकेश मिश्रा।


इन दिनों उत्तर प्रदेश के कई जिलों में डेंगू, मलेरिया, वायरल फीवर और मच्छरजनित बीमारियों का प्रकोप फैला हुआ है। प्रदेश में कई लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सैकड़ों लोग बीमार हैं। सरकारी अस्पतालों में मरीजों की लम्बी लाइनें लग रही हैं। निजी नर्सिंग होम में भी सैकड़ों लोग अपना इलाज करवा रहे हैं।

कन्नौज में 1 सितंबर से अब तक 3450 लोगों को बुखार हुआ है, जिसमें से 126 डेंगू मरीजों की पुष्टि हुई है, इसमें से 54 मरीज डेंगू से ठीक हो गए हैं। 


कन्नौज में भी कई इलाकों में डेंगू और वायरल बुखार के मरीज मिले हैं। मच्छर पर काबू पाने और साफ-सफाई के लिए प्रदेश में विशेष अभियान चलाया जा रहा है। कई विभागों की टीमें टीमें मिलकर मरीजों की पहचान और हालात देखने के लिए डोर-टू-डोर जा चुकी हैं। गांवों में साफ-सफाई के अलावा तालाबों की भी सफाई के निर्देश दिए गए हैं। तालाबों की सफाई के लिए कन्नौज में प्रशासन मछलियों का सहारा ले रहा है।

गंबूसिया मछली फोटो- साभार- https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/3/36/G_Sexradiata_Female_%28125598807%29.jpeg

2 रुपए मछली के हिसाब मिली हैं मछलियां

कन्नौज के सीडीओ राघवेंद्र नारायण सिंह ने बताया कि 'कन्नौज ब्लॉक के कुछ गांव और शहर क्षेत्र में डेंगू का प्रकोप है। ऐसे इलाकों में स्थित तालाबों के लिए ये मछलियां मंगवाकर डलवाई जा रही हैं।

सीडीओ के मुताबिक उन्होंने कानपुर मत्स्य विभाग में बात की है। एक पैकेट में करीब 200 मछलियां होती हैं। प्रति मछली सरकारी रेट दो रुपए है।

सीडीओ के मुताबिक नगर पालिका परिषद कन्नौज क्षेत्र के तिर्वा क्रॉसिंग निकट स्थित तालाब, डीएफओ दफ्तर के निकट तालाब, गांव तिखवा के दो तालाब समेत अन्य तालाबों में गंबूजिया मछली डाली जाएंगी।'

मत्स्य विकास अधिकारी कानपुर कुसुमा पाल ने बताया कि 'गंबूजिया यानि गंबूसिया मछली तालाबों में डाली जाती है। इससे मच्छर व उसका लार्वा खत्म हो जाता है। यह मछली कोलकाता और गोरखपुर से अधिक आती है।'

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