500 करोड़ रुपए के बजट वाले ऑपरेशन ग्रीन को मंजूरी, क्या आलू-टमाटर और प्याज की कीमतों पर लगेगा अंकुश ?

सरकार ने सोमवार को टमाटर, प्याज और आलू के उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये के ऑपरेशन ग्रीन्स (हरित अभियान) कार्यक्रम के लिए दिशा निर्देशों को मंजूरी प्रदान की है। सरकार के इस कदम का उद्देश्य इन तीन प्रमुख सब्जियों के मूल्य के उतार चढ़ाव पर अंकुश लगाना है।

Update: 2018-11-05 13:49 GMT

नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को टमाटर, प्याज और आलू के उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये के ऑपरेशन ग्रीन्स (हरित अभियान) कार्यक्रम के लिए दिशा निर्देशों को मंजूरी दी। सरकार के इस कदम का उद्देश्य इन तीन प्रमुख सब्जियों के मूल्य के उतार चढ़ाव पर अंकुश लगाना है।

एक सरकारी बयान में कहा गया है, "केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के तहत आने वाले खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने आज 'ऑपरेशन ग्रीन्स' को परिचालन में लाने की रणनीति को मंजूरी प्रदान की है। टमाटर, प्याज और आलू (टॉप) फसलों की आपूर्ति और कीमतों को स्थिर करने के लिए 500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केंद्रीय बजट 2018-19 में इस कार्यक्रम की घोषणा की गई थी।

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बादल ने कहा, "इन प्रमुख सब्जियों की कीमतों में घट बढ़ से परिवारों का बजट बिगड़ जाता है। इस परिजना को सभी अंशधारकों के साथ निरंतर वार्ता के बाद विकसित किया गया है और हमने इन प्रमुख सब्जियों की कीमतों को स्थिर करने तथा पूरे वर्ष लोगों को इनकी सुचार आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रणनीति तय की है।"


उन्होंने कहा कि सरकार ने इन प्रमुख सब्जियों का उत्पादन बढ़ाने और मूल्य श्रृंखला को बढ़ाने के लिए इस योजना के तहत विशेष उपाय किये हैं और अनुदान सहायता प्रदान की है। किसान उत्पादक संगठनों, कृषि-रसद, प्रसंस्करण सुविधाओं और पेशेवर प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए 'ऑपरेशन ग्रीन्स' कार्यक्रम की घोषणा की गई थी। इस कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्यों में उत्पादन समूहों और उनके एफपीओ को मजबूत करके और उन्हें बाजार से जोड़ने के द्वारा इन फसलों को उगाने वाले किसानों की बिक्री से प्राप्त होने वाली आय में वृद्धि करना शामिल है।

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इस योजना का उद्देश्य कृषि गेट बुनियादी ढांचे, कृषि-रसद और भंडारण क्षमता के निर्माण के बाद फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करना है। इससे प्रसंस्करण क्षमताओं और मूल्यवर्धन करने में मदद मिलेगी। मांग और आपूर्ति तथा इन फसलों की कीमतों के वास्तविक समय के आंकड़ों को इकट्ठा करने एवं एकत्रित करने के लिए एक बाजार खुफिया जानकारी नेटवर्क भी स्थापित किया जाएगा।


बयान में कहा गया है, "इसमें में सभी क्षेत्रों में पात्र परियोजना लागत के 50 प्रतिशत के बराबर अनुदान सहायता शामिल होगी, जो प्रति परियोजना अधिकतम 50 करोड़ रुपये तक हो सकती है।" हालांकि, एफपीओ के मामले में, अनुदान सहायता सभी क्षेत्रों में पात्र परियोजना लागत के 70 प्रतिशत तक और प्रति परियोजना की लागत अधिकतम 50 करोड़ रुपये तक होगी। 

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