Agriculture Bills 2020 - कृषि बिलों पर बढ़ रहा विरोध, 25 सितंबर को भारत बंद का ऐलान

कृषि बिलों के खिलाफ अब किसान संगठन एकजुट होकर 25 सितम्बर को भारत बंद करने की तैयारी में हैं। शुरू से इन बिलों को किसान विरोधी बता रहे किसान संगठनों ने अब सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई और तेज कर दी है।

Update: 2020-09-21 13:06 GMT
किसान नेता वीएम सिंह समेत कई किसान संगठनों के नेताओं ने कृषि बिलों के खिलाफ उठाई आवाज

देश में कृषि बिलों को लेकर विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। देश के किसान संगठनों ने इन तीनों कृषि अध्यादेशों के खिलाफ अब 25 सितंबर को भारत बंद का ऐलान किया है।

अभी तक ये कृषि बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास कर दिए गए हैं। ऐसे में अब राष्ट्रपति की मुहर लगते ही ये बिल देश में कानून का रूप ले लेंगे। शुरू से इन बिलों को किसान विरोधी बता रहे किसान संगठनों ने अब सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई और तेज कर दी है।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC), जो देश के 250 से ज्यादा किसान संगठनों का साझा मंच है, के संयोजक वीएम सिंह समेत अन्य किसान संगठनों के नेताओं ने एकजुट होकर सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।


एआईकेएससीसी के संयोजक वीएम सिंह ने आज एक ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "देश के किसानों की आजीविका खतरे में हैं, जो मक्का 1760 रुपये कुंतल था, वो किसान 700 से 800 रुपये में बेच रहे हैं, जिस गेहूं का भाव 1925 रुपये था, वो किसी भी मंडी में 1500 से ज्यादा नहीं बिका, और आप (सरकार) किसान के लिए एक देश, एक बाजार की बात करते हो।"

"सरकार ने पहले भी हम किसानों को एपीएमसी और एमएसपी के नाम पर धोखा दिया है, किसानों की खेती की लागत में सी-2 देने का वादा किया था, वो भी नहीं दिया किसानों को, और अब ये तीन बिल लाकर देश के किसानों को कॉर्पोरेट के हाथों बेचने पर मजबूर करना चाहते हैं, इसलिए हम यह नहीं होने देंगे और अब 25 सितम्बर को भारत बंद करने के साथ किसानों की आवाज को और बुलंद करेंगे," वीएम सिंह कहते हैं।

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महाराष्ट्र में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजू शेट्टी की ओर से इन कृषि बिलों को समर्थन देने की ख़बरें मीडिया में आने के बाद उन्होंने ऐसी ख़बरों को झुठला दिया।

कार्यक्रम में राजू शेट्टी ने कहा, "केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के पास बहुमत है और बहुमत का आधार लेकर इन बिलों को पास करा लिया गया, लेकिन जब देश के करोड़ों किसान इन बिलों के विरोध में हैं तो इनको अमल में कैसे लाया जा सकेगा, स्वाभिमान संगठन इन बिलों का विरोध करता है और सरकार को चेतावनी देना चाहते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों का अधिकार है और यह हम लेकर रहेंगे।" 


इस क्रायक्रम में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता मेधा पाटकर ने भी कृषि बिलों और किसान विरोधी सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठायी। उन्होंने कृषि बिलों को लेकर सरकार की मंशा पर कई सवाल उठाये।

मेधा पाटकर ने कहा, "लॉकडाउन के समय में जल्दबाजी में ये बिल पास किये गए, जबकि किसानों की कर्जमाफी और स्वामीनाथन रिपोर्ट पर संसद में कोई भी बहस नहीं की गई, अनुबंध खेती के नाम पर गुजरात में किसानों और पेप्सिको के बीच जो हुआ, वो सबने देखा, किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ा, और अब सरकार इन बिलों के जरिये समान्तर मंडियां खड़ी करके किसानों को गुलाम बनाना चाहती है।"

"इसलिए 25 सितम्बर को भारत बंद के साथ पूरी जनता पार्लियामेंट देश में चलेगी, हम लोग सड़कों पर उतरेंगे और इन बिलों के विरोध में अब एक नया किसान आन्दोलन शुरू होगा," मेधा कहती हैं।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के मुताबिक, भारत बंद के जरिये सभी राज्यों में 25 सितम्बर को सुबह से लेकर शाम चार बजे तक सड़कों पर गाड़ियाँ रोकी जायेंगी और कोई कार्यालय खोलने नहीं दिया जाएगा। किसान सड़कों पर उतर कर सरकार के इन कृषि बिलों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।

इस कार्यक्रम में दक्षिण भारत से किसान नेता किरण कुमार बिस्सा ने बताया, "सिर्फ हरियाणा-पंजाब ही नहीं, बल्कि भारत बंद को लेकर पूरे देश में किसान विरोध करेंगे। बंगलौर में करीब 20 हजार किसान साथी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे और किसानों का यह प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा।"

कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल से हनान मोल्लाह, वरिष्ठ किसान नेता डॉ आशीष मित्तल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता अतुल अंजान, पंजाब में क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सुनीलम समेत कई किसान शामिल रहे।  

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