खाप पंचायत का यह फैसला है अलग, अब गांव वाले नाम के आगे नहीं लगाएंगे जाति

Update: 2019-07-02 10:15 GMT

लखनऊ। अपने तुगलकी फरमानों के लिए मशहूर खाप पंचायतें अब बदलाव की राह पर हैं। इसका ताजा उदाहरण हरियाणा के जिंद की खेड़ा खाप पंचायत है। खाप ने अपनी एक बैठक में जातिवाद को खत्‍म करने के लिए अहम फैसला लिया है।

फैसले के मुताबिक, खाप के अंदर आने वाले गांवों में बच्‍चों के नाम के आगे अब जाति नहीं लिखी जाएगी, जाति की जगह गांव का नाम लिखने का फैसला सुनाया गया है। बता दें, खेड़ा खाप के अंदर 24 गांव आते हैं, जहां की आबादी करीब 1 लाख 6 हजार है।

खेड़ा खाप के प्रधान सतबीर पहलवान ने गांव कनेक्‍शन से इस फैसले पर बात की। उन्‍होंने कहा, ''हमारे समाज का ताना बाना जातिवाद की वजह से बिखरता जा रहा है। जो गांव में लोग रहते हैं वो अपनी जाति अपने मजहब को ज्‍यादा महत्‍व देते हैं, ऐसे में यह फैसला लिया गया है। हम सब बिरादरी के भाई हैं, सब धर्म के भाई हैं।''

खेड़ा खाप पंचायत की बैठक में शामिल लोग।

उन्‍होंने बताया, ''फैसले से पहले एक सवाल यह आया कि जो लोग जाति लिखते आ रहे हैं, जो कहीं सेना में हैं, स्‍कूल में काम कर रहे हैं, वो क्‍या करेंगे? ऐसे में यह फैसला उन लोगों पर लागू नहीं होता। वो लोग तो जाति लिखेंगे ही, लेकिन जो आने वाली पीढ़ी है, जो बच्‍चे होंगे उनके नाम के आगे जाति नहीं लिखी जाएगी। जाति की जगह गांव का नाम लिखा जाएगा।''

सतबीर पहलवान कहते हैं, ''गांव वालों को भी लग रहा था कि यह गलत था, लोग देश की असल समस्‍या की जगह जाति में फंसे रहते थे। इसलिए गांव के लोगों ने भी इस फैसले का स्‍वागत किया। हमारी मुहिम है कि जाति पाति बाद में पहले देश के बारे में सोचा जाए।''   

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