आईआईएसईआर ने विकसित किया उपकरण, पानी से अलग कर देगा आर्सेनिक

एक ऐसा उपकरण बनाया है जो पानी में आर्सेनिक का पता लगा लेगा और इसको पानी से निकाल उसे सुरक्षित और उपयोग करने योग्य बना देगा।

Update: 2018-06-18 11:39 GMT
कोलकाता। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) ने एक निजी कंपनी के साथ मिलकर एक ऐसा उपकरण बनाया है जो पानी में आर्सेनिक का पता लगा लेगा और इसको पानी से निकाल उसे सुरक्षित और उपयोग करने योग्य बना देगा।

आईआईएसईआर के निदेशक सौरभ पाल ने बताया कि उपकरण का नाम आर्सेनिक सेंसर एंड रेमूवल मीडिया है। यह एक प्रभावी प्रणाली है जिसके उत्पादन की लागत भी कम है।  
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डॉ. राजा षणमुगम की अगुवाई में आईआईएसईआर की अनुसंधान टीम ने प्रमुख रसायनों के निर्माता की प्रयोगशाला में आर्सेनिक सेंसर बनाया है। उन्होंने कहा कि अगर पानी में आर्सेनिक है तो यह सेंसर तुरंत रंग बदल लेगा।
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित डॉ. टी रामास्वामी ने कहा कि मुख्य रूप से लोग पानी में आर्सेनिक की मौजूदगी के बारे में जानते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि पानी में इसकी मौजूदगी सीमा में है या इससे ज्यादा है यानी पानी सुरक्षित है या असुरक्षित है।
देश में पश्चिम बंगाल, बिहार उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, असम, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश में आर्सेनिक की समस्या है। इनमें सबसे ज्यादा प्रभावति राज्य पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखण्ड हैं।
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उन्होंने कहा कि अगर लोगों को पानी में आर्सेनिक की मात्रा का पता लगेगा तो इससे सिर्फ लोगों की चिंता बढ़ेगी। इसलिए ऐसा उपकरण बनाया गया है जो पानी में से आर्सेनिक को निकालकर उसे सुरक्षित बना दे।
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