अलवर घटना पर राज्यसभा में घमासान, सदन को मामले से अवगत कराने के निर्देश

Update: 2017-04-06 15:24 GMT
राज्यसभा उप सभापति पीजे कुरियन।

नई दिल्ली। राज्यसभा में गुरुवार को उप सभापति पीजे कुरियन ने सरकार से राजस्थान के अलवर में गोरक्षकों द्वारा कथित तौर पर मारपीट किए जाने के संबंध में जांच करने और सदन को तथ्यों से अवगत कराने के लिए कहा है।

अलवर की घटना को कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री ने उठाया। विपक्ष और सरकार के विरोधाभासी बयानों के बीच कुरियन ने कहा कि यह स्पष्ट होना चाहिए कि मिस्त्री द्वारा उठाया गया मुद्दा सही है या नहीं। मिस्त्री ने शून्यकाल के दौरान कहा कि राजस्थान में कानून व्यवस्था ठप है। अलवर में गोरक्षकों के गिरोह ने मवेशी ले जा रहे ट्रक को रोका, उनसे पूछताछ की। ट्रक चालक हिंदू निकला तो उन्होंने उसे जाने दिया और बाकी लोगों को कथित तौर पर बुरी तरह पीटा। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश में भी हुई हैं और इन सभी राज्यों में भाजपा की सरकार है।

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मिस्त्री की बात का जहां विपक्षी दलों ने समर्थन किया, जबकि सत्तारुढ दल के सदस्यों ने विरोध जताया। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई भी गिरोह इस तरह कानून को अपने हाथ में ले और पुलिस कुछ न करे। इस पर हस्तक्षेप करते हुए संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है, लेकिन हकीकत में ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि यह संदेश बिल्कुल नहीं जाना चाहिए कि सदन गोहत्या का समर्थन करता है। जिस मीडिया खबर की बात की जा रही है उसे राज्य सरकार ने नकारा है। हम अराजकता को उचित नहीं ठहराते।

गुलाम नबी आजाद ने कहा, मंत्री को गलत जानकारी दी गई

इस पर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा ‘मैं यह कहने के लिए माफी चाहूंगा कि मंत्री को गलत जानकारी दी गई है। 'उन्होंने कहा कि विदेशी मीडिया ने भी इस घटना की खबर दी है। भारतीय मीडिया में इसकी खबर है, फिर मंत्री को कैसे इसके बारे में मालूम नहीं। मैं नहीं जानता था कि यह सरकार इस हद तक असंवेदनशील है।' वहीं हंगामे के बीच कुरियन ने कहा कि वह अखबार की खबरों पर पूरी तरह भरोसा नहीं करते। घटना के बारे में दो अलग अलग बातें सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसी कोई घटना हुई है तो यह गंभीर मामला है। ‘मैं सरकार से कहता हूं कि गृह मंत्रालय को जांच करना चाहिए व तथ्यों से सदन को भी अवगत कराना चाहिए।'

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