लखनऊ। भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ साजिश की जांच करने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सर्वोच्च न्यायालय की स्पेशल बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए. के. पटनायक को जांच का मुखिया नियुक्त किया। जस्टिस अरूण मिश्रा, रोहिंटन नरीमन और दीपक गुप्ता की स्पेशल बेंच ने गुरूवार, 25 अप्रैल 2019 को चीफ जस्टिस के खिलाफ की गई साजिश की जांच करने के लिए कमेटी बनाने का फैसला दिया।
Justice Retired AK Patnaik has been appointed to head the inquiry to probe Utsav Bains' allegations. Utsav Bains had claimed there is a conspiracy to frame CJI Ranjan Gogoi in sexual harassment case.
— ANI (@ANI) April 25, 2019
न्यायालय ने अपने फैसले में सीबीआई, आईबी और दिल्ली पुलिस को जस्टिस पटनायक की जांच में सहयोग करने को कहा है। न्यायालय का कहना है कि मुख्य न्यायाधीश पर लगाए आरोपों की जांच ये कमेटी नहीं करेगी। कमेटी का काम केवल साजिश की जांच करना है।
CBI Director, IB Chief to co-operate with Justice AK Patnaik.
— Bar & Bench (@barandbench) April 25, 2019
AK Patnaik to submit his report in sealed cover to Supreme Court.
सर्वोच्च न्यायालय के वकील उत्सव बैंस ने हलफनामा दायर कर ये दावा किया था कि चीफ जस्टिस पर यौन उत्पीड़न के आरोप साजिश के तहत लगे हैं। बैंस ने ये भी कहा था कि उन्हें केस लड़ने के लिए रिश्वत की पेशकश हुई है।
'द हिन्दू' के मुताबिक, इससे पहले बुधवार, 24 अप्रैल 2019 को सर्वोच्च न्यायालय की 250 महिला वकीलों और शिक्षाविदों ने न्यायालय को एक चिट्ठी लिखी। चिट्ठी में चीफ जस्टिस के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की गई थी।
'बार एंड बेंच' वेबसाइट के अनुसार, सोमवार, 22 अप्रैल को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ न्यायालय की पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। जस्टिस एस. ए. बोबड़े, जस्टिस एन. वी. रमना और जस्टिस इन्दिरा बनर्जी की इस कमेटी को मामले की जांच सौंपी गई थी।
गुरूवार, 25 अप्रैल को जस्टिस एन. वी. रमन ने इस कमेटी से अपना नाम वापस ले लिया है। जस्टिस रमन ने सर्वोच्च न्यायालय को आधिकारिक तौर पर लिखा कि वो इस जांच से अपना नाम वापस लेते हैं।
जस्टिस रमन का ये कदम उस चिट्ठी के बाद उठाया गया है जिसमें चीफ जस्टिस पर आरोप लगाने वाली महिला ने जांच कमेटी के सम्बन्ध में कई चिंताएं व्यक्त कीं। महिला की चिंता थी कि जस्टिस रमन चीफ जस्टिस के करीबी रहे हैं। कमेटी के गठन के बाद महिला को जांच कमेटी के समक्ष पेश होने के लिए नोटिस जारी किया गया। जिसके जवाब में उसने चिट्ठी लिख अपनी चिंताएं बताईं।
'बार एंड बेंच' वेबसाइट के मुताबिक, महिला ने चिट्ठी में लिखा कि जस्टिस रमन चीफ जस्टिस के परिवार के सदस्य की तरह हैं और उनके घर आते-जाते रहे हैं। उनके रिश्ते को देखते हुए उसे नहीं लगता कि मामले की सही और निष्पक्ष जांच हो पाएगी।
महिला के आरोप-
सर्वोच्च न्यायालय में जूनियर असिस्टेंट के पद पर कार्यरत महिला ने शनिवार, 20 अप्रैल को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। महिला मई 2014 से दिसंबर 2018 तक न्यायलय में कार्यरत थी।
सर्वोच्च न्यायालय को सम्बोधित करते हुए लिखे गए हलफनामे (एफिडेविट) में महिला ने बताया था कि यौन उत्पीड़न की घटना के बाद उसे अचानक उसके पद से निकाल दिया गया। महिला ने ये भी आरोप लगाया कि नौकरी चले जाने के बाद भी उसे प्रताड़ना सहनी पड़ी। उसने कहा कि इस साल मार्च में उसके और उसके परिवार के खिलाफ एक घटिया एफआईआर भी दायर की गई।
शनिवार को चीफ जस्टिस सहित तीन सदस्यीय पीठ ने इस मामले की 'न्यायपालिका की स्वतंत्रता से जुड़े अति महत्वपूर्ण विषय' के रूप में सुनवाई की थी।। इसमें चीफ जस्टिस ने जोर देकर कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप 'अविश्वसनीय' हैं।
मामले की पूरी जानकारी के लिए पढ़िए-
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