विकास दुबे ने जेल में रहकर जिस लल्लन बाजपेई के यहाँ हमला करवाया था, सुनिए उनकी जुबानी उसके काले कारनामों का कच्चा चिट्ठा

8 पुलिस कर्मियों की हत्या का मास्टरमाइंड विकास दुबे एनकाउंटर में पुलिस के हाथों मारा जा चुका है। जानिए विकास के कारनामों का पूरा चिट्टा, कैसे बना कुख्यात हिस्ट्रीशटर, कब की थी पहली हत्या.. ये सब बता रहे हैं विकास दुबे को करीब से जानने वाले शिवली के पूर्व चेयरमैन लल्लन बाजपेई ...

Update: 2020-07-09 05:05 GMT

शिवली (कानपुर देहात)। "विकास दुबे समाज में आतंक का पर्याय बन चुका था। किसी भी व्यक्ति में उसकी बात काटने की हिम्मत नहीं। उग्र स्वभाव का है। आसपास के क्षेत्र में उसका जबरदस्त आतंक है, उसके खिलाफ कोई कुछ कहने को तैयार नहीं होगा।"

बुजुर्ग लल्लन बाजपेई कहते हैं। लल्लन बाजपेई कानपुर में शिवली इलाके के पूर्व सरपंच हैं, जिन पर 19 साल पहले विकास दुबे ने बम से हमला कराया था, वो उस वक्त जेल में था। इस घटना में लल्लन बाजपेई के परिवार के 3 लोगों की मौके पर मौत हो गई थी। कई लोग गायल हो गए थे। लल्लन वाजपेयी का घर विकास दुबे (Vikas Dubey)  के घर से महज 3 किलोमीटर दूर कानपुर देहात जिले के शिवली नगर पंचायत में है। 

विकास दुबे कुख्यात हिस्ट्रीशीटर कैसे बना? इस सवाल के जवाब में लल्लन बाजपेई बोले, "विकास ने 17 साल की उम्र में पहला मर्डर किया था जब उस केस में उसे कोई सजा नहीं मिली तो उसका हौसला बढ़ गया। पहले छोटी-मोटी घटनाओं को अंजाम देता था बाद में उसने एक के बाद एक कई मर्डर किये। कुछ दिन जेल में बंद रहता फिर छूट आता, ये उसके लिए आम बात थी।"

ये हैं लल्लन वाजपेयी जिनके घर पर विकास दुबे ने 19 साल पहले बन कांड कराया था.

विकास दुबे को 9 जुलाई को मध्य प्रदेश में उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया गया था, (कुछ लोगों का कहना है उसने सरेंडर किया था) जिसके बाद रात में यूपी पुलिस और एसटीएफ सड़क के रास्ते उसे लेकर कानपुर आ रहा था, पुलिस के मुताबिक इस दौरान कानपुर टोल नाके के 25 किलोमीटर पहले उसकी कार पलट गई। जिसके बाद उसने पुलिस का पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की, और जवाबी कार्रवाई में मारा गया।

कानपुर नगर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गाँव का निवासी विकास दुबे कल तक स्थानीय स्तर पर अपने दबदबेपन के लिए जाना जाता था लेकिन दो जुलाई को हुए एनकाउंटर के बाद वो राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गया। 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे 30 साल से अपराध की दुनिया में था, 62 केस दर्ज हैं, जिनमें से 5 हत्या के हैं। कानपुर एनकाउंटर के 24 घंटे पहले राहुल तिवारी नाम के एक व्यक्ति ने विकास दुबे पर धारा 307 के तहत एक केस दर्ज कराया था।

बीते रिकार्ड्स और इस मामले को संज्ञान में लेते हुए तीन थाने की स्थानीय पुलिस 2 जुलाई की देर रात विकास के घर दबिश देने पहुंची थी। जिसकी सूचना विकास को पहले से मिल गयी थी और उसने पूरी तैयारी कर ली थी। कुछ देर हुई ताबड़तोड़ फायरिंग में पुलिस के आठ जवान तुरंत शहीद हो गये जबकि सात घायल थे, अभी घायलों में से दो की और मौत हो गयी है। विकास दुबे अभी तक फरार है उसके कुछ साथी बीते कुछ दिनों में पुलिस के हत्थे चढ़े हैं। 

विकास को लम्बे समय तक कभी सजा नहीं मिली इसकी आपको क्या वजह लगती है? इस पर लल्लन बाजपेई बोले, "उसकी हर थाने में दो तीन पुलिसकर्मियों से अच्छी सांठ-गांठ रहती थी। उसे कई राजनैतिक पार्टियों का सानिध्य मिला था। उसके खिलाफ गवाही देने की किसी में हिम्मत नहीं थी। साल 2001 में उसने राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त संतोष शुक्ला को शिवली थाने में ही गोलियों से भून दिया तब पुलिस तक ने उसके खिलाफ गवाही नहीं दी थी इसी से आप उसकी दहशत का अंदाजा लगा लीजिये।" 

कानपुर एनकाउंटर के बाद विकास दुबे का घर पुलिस द्वारा ढहा दिया गया है.

  लल्लन वाजपेयी से विकास दुबे की दुश्मनी क्यों हुई? लल्लन वाजपेयी के अनुसार वर्ष 1988-89 के दौरान हमने सुधा पैलेस के नाम से एक टाकीज खोली थी उस समय यह क्षेत्र की पहली टाकीज थी। बहुत लोग देखने आते थे उस समय विकास भी देखने आता था। तब हम विकास को सीधा-साधा भोला-भाला लड़का समझते थे। यहीं ताराचंद इंटर कॉलेज में ये पढ़ता था। विकास का एक घर शिवली में भी है। हमारी दुश्मनी विकास से तब शुरू हुई जब हमने पहली बार चेयरमैन के चुनाव के लिए वर्ष 1995 में खड़े होने की तैयारी करनी शुरू की थी। एक स्थानीय विधायक चाहते थे कि ये चुनाव विकास लड़े। बस यहीं से लड़ाई की शुरुआत हुई।

लल्लन वाजपेयी 30 साल की उम्र में शिवली के पहली बार चेयरमैन बने। ये लगातार 22 साल 1995 से 2017 तक शिवली के चेयरमैन रहे, इसके बाद ये चुनाव ही नहीं लड़े।  

विकास ने आपके ऊपर कब हमला करवाया? लल्लन वाजपेयी बोले, "विकास किसी केस में जेल में बंद था। हम अपने घर पर कुछ लोगों के साथ बैठे थे। कुछ लोग आये और बम मारने शुरू कर दिए। मौके पर तीन लोगों की मौत हो गयी, मैं बुरी तरह से घायल हो गया। इस घटना के बाद से हमारी दुश्मनी के चर्चे आसपास क्षेत्र में होने लगे। क्षेत्र में उसका खुलकर विरोध मेरे अलावा किसी ने नहीं किया। हमारी दुश्मनी 20-22 साल से चल रही है। इसने एक बार हमारे भाई के ऊपर भी हमला किया था।"

लल्लन वाजपेयी के घर बम कांड कराने से पहले विकास कई और बड़ी घटनाओं को अंजाम दे चुका था जिसमें कुछ चर्चाओं में आयी तो कुछ थानों तक ही सिमटकर रह गईं।


आपकी जानकारी में विकास ने कितनी घटनाओं को अंजाम दिया? इस सवाल के जवाब में लल्लन वाजपेयी बोले, "छोटी मोटी घटनाओं की कोई गिनती नहीं। जब मैं चेयरमैन बना तब मैं अपने क्षेत्र की अवैध वसूली को रोक पाया। विकास के यहाँ हर महीने अवैध वसूली के दसियों लाख रूपये आती है। जिस कॉलेज में यह पढ़ता था जमीन के लालच में वहां के प्रिंसपल का मर्डर इसने दिन-दहाड़े शिवली बस स्टाप पर सन 2,000 में कर दिया था। एक साल बाद ही 22 अक्टूबर 2001 में राज्यमंत्री संतोष शुक्ला को थाने के अन्दर मार दिया।"

"अपने ही गाँव के झुन्ना बाबा को इसने केवल इसलिए मारा कि उनकी पूरी जमीन इसे मिल जाए क्योंकि वो अकेले थे। एक केबल आपरेटर को पैसों के लेनदेन में मारा। पास के गाँव के रामबाबू नाम के एक व्यक्ति को मारा। इसने शुरुआत के तीन सालों में कई मर्डर किये। इसके बाद क्षेत्र में इसकी दहशत हो गयी, " लल्लन वाजपेयी ने बताया।

लल्लन वाजपेयी के अनुसार विकास एक साधारण परिवार का लड़का था लेकिन जब इसने अपराध की दुनियां में कदम रखा तो इसे संपति का लालच हो गया। विवादित जमीनों पर कब्जा, फैक्ट्रियों से अवैध वसूली इसके लिए आम बात हो गयी। धीरे-धीरे इसने करोड़ों की प्रापर्टी बना ली। 

विकास दुबे का राजनैतिक पार्टियों में कितना दबदबा था? इस सवाल के जबाब में लल्लन बोले, "विकास का क्षेत्र में 10,000 वोट फिक्स था यह बात हर राजनैतिक पार्टी के संज्ञान में थी। इन दस हजार वोटों पर विकास का ऐसा खौफ़ था कि इसकी मर्जी के बिना एक वोट भी इधर-उधर नहीं हो सकता था। इन वोटों के लालच में हर पार्टी इससे अच्छा सम्बन्ध रखती थी। ये दस हजार वोट विकास की आवाज़ थे जिस वजह से इसकी हर दल में पकड़ थी।"

एनकाउंटर के बाद गाँव में तैनात है पुलिस फ़ोर्स.

सुना है विकास लोगों की मदद बहुत करता था,  इस पर लल्लन वाजपेयी बोले, "ये बिलकुल सच है। जरुरतमंद की शादी में वह पैसा देता है। जब उसकी वसूली ही 10-12 लाख रूपये महीने आती थी तो अगर उसमें से साल में उसने दो तीन लाख रूपये खर्च भी कर दिए तो उसके लिए क्या फर्क पड़ता? गाँव के कई घरों का खर्चा वही चलाता है। अपने गाँव के लड़कों की शौकें पूरी करता फिर उसे अपने गिरोह में शामिल कर लेता।" 

विकास ज्यादा दूर चल नहीं सकता क्योंकि उसके एक पैर में रॉड पड़ी हुई है। सहारनपुर में एक मामले में विअक्स पर हमला हुआ था तबसे उसका एक पैर खराब है।

आसपास क्षेत्र के लोग विकास को किस नजरिये से देखते हैं? वाजपेयी बोले, "अच्छे लोग उसे एक अपराधी मानते हैं लेकिन कुछ लोग जो उसकी प्रवत्ति के हैं उनके लिए विकास मार्गदर्शक है पर ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है। एक बड़ी संख्या उसके दहशत की वजह से भी उसका साथ देती है। विरोध करने की किसी में हिम्मत नहीं है। हमने हिम्मत की तो बहुत खामियाजे भुगतने पड़े। पिछले 22 साल से हमने भोजन नहीं खाया है केवल फल ही खाते हैं केवल इस डर से कहीं खाने में जाऊं तो उसमें जहर न मिला दे।"

जो दो जुलाई की आधी रात को एनकाउंटर हुआ उसको लेकर आप क्या कहना चाहते हैं? वाजपेयी बोले, "घर का भेदी लंका ढाबे वही इस मामले में भी हुआ। पुलिसकर्मी मारे गये इस बात का हमें अफ़सोस है पर उन्हीं में से किसी व्यक्ति ने ही तो आने की खबर भी दी थी। हम पहले भी बता चुके हैं विकास के हर थाने में दो तीन पुलिस वालों से बात होती थी जो उसे पल-पल की खबर पहुंचाते थे जिसका खामियाजा इस बार इन पुलिसकर्मियों को बहुत भारी पड़ा।" 

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