महादयी नदी के पानी के बंटवारे पर गुरुवार को समूचा कर्नाटक राज्य बंद रहा। इस राज्य व्यापी बंद का आह्वान किसानों और स्थानीय संगठनों की अपील पर किया गया था। बंद की वजह से राज्य में स्कूल-कॉलेज बंद रहे, बसें वगैरह भी नहीं चलीं, इसके बावजूद बंद शांतिपूर्ण रहा। गुरुवार को ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी बीजेपी की परिवर्तन रैली को संबोधित करने के लिए मैसूर दौरे पर थे। बंद से पहले आईटी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों से बंद के दौरान घर पर रहकर ही काम करने को कहा था। शिक्षण संस्थाओं ने भी छुट्टी का ऐलान पहले से कर दिया था। बंद के मद्देनजर कुछ परीक्षाएं भी टाली गई हैं।
गोवा संग पानी का बंटवारा है विवाद की वजह
कर्नाटक और गोवा महादयी नदी के पानी के बंटवारे पर लगभग चार दशक से संघर्षरत हैं। इस नदी का मूल तो कर्नाटक में है लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा गोवा से बहता है, जहां से होकर यह अरब सागर में गिरती है। विवाद तब शुरू हुआ जब कर्नाटक सरकार राज्य में महादयी नदी से 7.56 टीएमसी पानी मलप्रभा बांध में लाने की कवायद की। गोवा सरकार ने इसका यह कहकर विरोध किया कि यह पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। पानी का रूख मोड़ देने से गोवा पर बुरा असर पड़ेगा। गोवा के विरोध की वजह से 80 के दशक से कर्नाटक की यह योजना लटकी हुई है। किसान संगठनों का आरोप है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर उदासीन रवैया अपना रही है।
गौरतलब है कि 4 फरवरी को भी कर्नाटक में एक और बंद का आयोजन किया गया है। इस दिन भी बेंगलुरु में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक रैली प्रस्तावित है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि गुरुवार को अमित शाह और 4 फरवरी को मोदी की रैली में अड़ंगा डालने के लिए इसी दिन बंद बुलाया गया था। जवाब में बीजेपी ने फरवरी में उसी समय बंद का आह्वान किया है जब कांग्रेस अध्यक्ष राज्य के दौरे पर होंगे।