बंगाल में मीठा चावल, तो यूपी में बनाई जाती है तहरी, जानिए बसंत पंचमी से जुड़ी 5 रोचक बातें

Update: 2020-01-29 05:40 GMT
बसंत पंचमी त्योहार।

क्या आपको पता है कि बसंत पंचमी के दिन देश में अलग-अलग राज्यों में खास तरह के पकवान बनाए जाते हैं। जानिए बसंत पंचमी लोकपर्व से जुड़ी पांच रोचक बातें -

नाम में है इस त्योहार का अर्थ

बसंत ऋतु की शुरूआत होने के पांचवें दिन यह त्योहार बनाया जाता है। इसी बात से इस पर्व का नाम भी जुड़ा है- बसंत का अर्थ है वसंत और पंचमी का मतलब होता है पांचवा दिन।

बसंत पंचमी से होलिका रखने की होती है शुरूआत

अरंडी के पेड़ की लकड़ी आग में नहीं जलती है, इसलिए लोग यह मानते हैं कि यह प्रहलाद का ही एक अवतार है। बसंत पंचमी के दिन से होलिका लगती है , इस दिन अरंडी के पेड़ की लकड़ी रखकर होलिका दहन की तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं।

होली पर जलने वाली होलिका के लिए लकड़ियां इकट्ठा करना बसंतपंचमी से शुरू होता है। 

देश के कई हिस्सों बनाए जाते हैं खास तरह से व्यंजन

इस दिन देश के अलग-अलग हिस्सों खास पकवान बनाए जाते हैं। पश्चिम बंगाल में इस दिन लोग पीले रंग में रंगे मीठे चावल और बूंदी के लड्डू खाए जाते हैं, पंजाब में सरसों का साग और मक्के की रोटी, गुजरात में राजभोग, तो बिहार और उत्तर प्रदेश में तहरी, कढ़ी, खीर और बेसन के लड्डू प्रशाद के तौर पर खाए जाते हैं।

बसंतपंचमी के दिन गुजरात में राजभोग और उत्तर प्रदेश में तहरी खाने का है चलन। 

स्कूलों में होती है देवी सरस्वती की पूजा

बसंती पंचमी त्योहार के दिन स्कूलों में खास तौर पर सरस्वती देवी की पूजा की जाती है। इस घरों में बच्चों को पहला शब्द बोलना व लिखना सिखाया जाता है।

पूजा की थाल।

इस दिन महिलाएं पहनती हैं पीला कपड़ा

इस दिन खास तौर पर सरस्वती पूजा में महिलाएं पीला कपड़ा पहनती हैं। पीला रंग सरस्वती देवी का प्रतीक भी माना जाता है।

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