कुम्भ 2019: 'यह हमारे ल‍िए दूसरी दुनिया'

Update: 2019-01-30 06:52 GMT

प्रयागराज। "मैं तो सिर्फ यहाँ दो दिन के लिए आई थी, लेकिन अब मेरा मन यहाँ से जाने का बिल्कुल नहीं कर रहा है। लगता है किसी दूसरी दुनिया में आ गयी हूं। ऐसी जगह इससे पहले मैंने कभी नहीं देखी थी। आस्था और विश्वास का अद्भुत संगम है यह।" यह कहना है कुम्भ मेले में इजरायल से आई नाडिजा (26वर्ष) का। पेशे से फोटोग्राफर और ट्रैवलर नाडिजा पहली बार कुम्भ मेले में आई हैं। नाडिजा खजुराहो स्थित एक आर्ट कॉलेज की स्टूडेंट हैं।

नाडिजा ने बताया, मेरे कुछ दोस्तों ने कुम्भ के बारे में बताया। उन्होंने जब ये कहा कि इतनी ठंड के मौसम में करोड़ों लोग गंगा के किनारे रेत में टेंट में रहते हैं। मुझे उनकी बातों पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन यहां आकर लगा कि इंडिया और इंडियन में कुछ बात है।"

हम लोग अपने देश के एक नॉर्मल लोग हैं, लेकिन यहाँ हर कोई हमारे साथ सेल्फी ले रहा है। इतनी इज्जत दे रहा है। मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं कोई सेलेब्रेटी बन गयी हूं। इतने लोगों के बीच में भी डर नहीं लग रहा है। रात के 12 बजे भी मेले में घूमती हूं। नाडिजा ने आगे बताया।

न्यूज़ीलैंड से आईं एबीगेल

नाडिजा जैसे बहुत से विदेशी कुंभ मेले में आये हैं जो यहां आकर यहां की भव्यता और आस्था के मुरीद हो गए हैं। इन्‍हीं में से एक हैं न्यूज़ीलैंड से आई एबीगेल (24वर्ष)। एबीगेल एक पेंटर हैं, जो ट्रांसजेंडर के हक लिए भी काम करती हैं। एबीगेल ने बताया, "मुझे जब पता चला कि एक किन्नर को महामण्डलेशवर की उपाधि दी गयी है, यह मेरे लिए अकल्पनीय था, क्योंकि कई विकसित देशों में भी ट्रांसजेंडर के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। ऐसे में भारत में यह एक क्रातिकारी कदम है। कुम्भ मेला एक अलग दुनिया है जहां दुनिया भर के लोग आए हैं। मेरे लिए यह अनुभव बिल्कुल अलग है। भारत के लोगों में ईश्वर के प्रति जितनी आस्था है उतनी किसी देश के लोगों में नहीं है। मैं अब हर साल मेले में आऊंगी।"

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