श्रमिकों को सैलरी कम दी तो लगेगा 50 हजार रुपए जुर्माना, जाना पड़ सकता है जेल

Update: 2017-08-11 18:00 GMT
श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारु दत्तात्रेय। 

नई दिल्ली। सरकार ने आज लोकसभा में मजदूरी संहिता विधेयक 2017 पेश किया जिसमें केंद्र को सार्वभौम न्यूनतम मजदूरी तय करने का अधिकार दिया गया है और इससे असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ श्रमिकों को लाभ होने की उम्मीद है। लोकसभा में श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने मजदूरी संहिता विधेयक 2017 पेश किया। इसके माध्यम से चार कानूनों - मजदूरी संदाय अधिनियम 1936, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, बोनस संदाय अधिनियम 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 को मिलाकर उसे सरल और सुव्यवस्थित बनाने का प्रस्ताव किया गया है।

इस बिल का खास प्रावधान यह है कि किसी मजदूर को तनख्वाह कम दी गई तो उसके नियोक्ता पर 50 हजार रुपए जुर्माना लगेगा। पांच साल के दौरान ऐसा फिर किया तो 1 लाख जुर्माना या 3 माह की कैद या दोनों सजाएं एक साथ देने का प्रावधान भी है। हालांकि विपक्ष ने इस बात पर विरोध जताया कि सरकार ने अल्प सूचना पर बिल पेश कर दिया। उधर, श्रम मंत्री का कहना था कि अभी बिल पेश किया गया है, इस पर चर्चा बाद में होगी।

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दत्तात्रेय ने कहा, 'इसका मकसद श्रम अधिनियमितियों को सुसंगत, सरल और व्यवस्थित बनाना है। किसी भी स्थिति में श्रमिकों के अधिकारों का हनन नहीं होगा। यह श्रमिकों की मजदूरी के संदर्भ में ऐतिहासिक बदलाव लाने वाला होगा और देश में पहली बार सार्वभौम न्यूनतम मजदूरी लागू होने का मार्ग प्रशस्त होगा।'

समय पर देनी होगी पगार

दिहाड़ी श्रमिकों को शिफ्ट समाप्त होने पर, साप्ताहिक श्रमिकों को सप्ताह के आखिरी कार्य दिवस तथा पाक्षिक श्रमिकों को कार्यदिवस समाप्ति के बाद दूसरे दिन भुगतान करना होगा। मासिक आधार वालों को अगले माह की सात तारीख तक वेतन देना होगा। श्रमिकों हटाने या बर्खास्त करने या उसके इस्तीफा देने पर पगार दो कार्यदिवस के भीतर देनी होगी।

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चार कानूनों का विलय श्रम

मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने बताया कि नए बिल में 1936, 1948, 1965 व 1976 के एक्ट का विलय कर दिया जाएगा। इसमें जो प्रावधान हैं, उनसे किसी भी श्रमिक के अधिकारों का हनन नहीं हो पाएगा।

नियोक्ता के लिए ये राहत

नियोक्ता के लिए नए बिल में राहत की केवल एक बात है कि वह श्रमिक की मजदूरी तभी काट सकता है जब वह ड्यूटी से गैरहाजिर रहा हो या फिर उसकी वजह से कोई नुकसान हुआ हो। घर व अन्य सहूलियतें देने की एवज में भी तनख्वाह काटने का अधिकार नियोक्ता को है।

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