देश में 50 स्थानों पर आभाषी संग्रहालय स्थापित किये जायेंगे: मोदी

Update: 2017-04-16 14:05 GMT
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

भुवनेश्वर (भाषा)। धानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि देश में 50 स्थानों पर आभाषी संग्रहालय स्थापित किये जायेंगे ताकि स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासियों की ‘महत्वपूर्ण' भूमिका को रेखांकित किया जा सके।

ओडिशा में ब्रिटिश शासन के खिलाफ 1817 के पायका विद्रोह में हिस्सा लेने वाले 16 स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को सम्मानित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास कुछ परिवारों, वर्षो और कुछ घटनाओं तक सीमित रह गया। जबकि यह वर्षो तक वृहद जन आंदोलन था और वर्तमान पीढ़ी को इसके बारे में जानना चाहिए।''

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स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासियों की भूमिका की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके योगदान को सामने लाने और याद रखने के लिए देश के 50 स्थानों पर आभाषी संग्रहालय स्थापित करने की दिशा में कदम उठाये जा रहे हैं। राजभवन में आयोजित एक समारोह में उन्होंने कहा कि देश के स्वतंत्रता संघर्ष में अपना बलिदान देने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों की कहानी को सरकार वर्तमान और भावी पीढ़ी के समक्ष पेश करना चाहती है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान वर्षो तक अनेक घटनाएं घटीं और ऐसी सभी घटनाओं को याद रखना महत्वपूर्ण है।

ओडिशा के लोगों के महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि इतिहास के शानदार अध्याय हमारे लिये प्रेरणा के स्रोत हैं और लोगों को अपने अतीत से जुड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि मानव जीवन यात्रा में सपनों को पूरा करने के लिए इतिहास महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लिए सर्वस्व न्योछावर देने वाले लोगों को जानना और याद रखना महत्वपूर्ण है। मोदी ने स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के लोगों को शॉल एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले शहीदों को याद करना मेरे लिए गर्व का क्षण है। मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि मुझे इन परिवारों से मिलने का मौका मिल रहा है।'' मोदी ने पायका आंदोलन को स्वतंत्रता संग्राम से जुडी एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना करार दिया। प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानी जय राजगुरु, बक्सी जगबंधु, समंत माधव चंद्र राउतरे, पिंडिकी बहुबलेन्द्र, कृतिबास पटसनी, दमा सुबुद्धि मंगराज, चक्र बिसोई, रेडो माझी, पीर सुरेन्द्र साई, चाखी खुटियां, मधो सिंह, रघुनाथ मोहंती, दीबाकर परिदा, लक्ष्मण नायक, लक्ष्मी इंदिरा पांडा और दीनबंधु सामंतरे महापात्र शामिल हैं।

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