अब आर-पार की लड़ाई की तैयारी में मनरेगा कर्मी, झारखण्ड से शुरू हुई हड़ताल अब देश भर में

झारखण्ड से शुरू हुई संविदा पर काम कर रहे मनरेगा कर्मियों की हड़ताल अब देशव्यापी हो चुकी है। अखिल भारतीय मनरेगा कर्मी महासंघ की ओर से देश में दो दिवसीय कलम बंद हड़ताल शुरू कर दी गई है।

Update: 2020-08-27 08:58 GMT
झारखण्ड में पिछले एक महीने से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे हैं संविदा पर काम कर रहे मनरेगा कर्मी

पिछले एक महीने से झारखण्ड में चल रही संविदा पर काम कर रहे मनरेगा कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल अब देश भर में शुरू हो गई है। नई दिल्ली में अखिल भारतीय मनरेगा कर्मी महासंघ ने झारखण्ड के मनरेगा कर्मियों की हड़ताल का समर्थन करते हुए देश भर में दो दिवसीय सांकेतिक हड़ताल शुरू कर दी है। ऐसे में ये मनरेगा कर्मी अब अपनी मांगों को लेकर सरकार से आर-पार की लड़ाई की तैयारी में हैं।

संविदा के नाम पर कर्मियों के उत्पीड़न, सेवा समाप्ति और मुक़दमे जैसी कार्रवाईयों से लम्बे समय से शोषण का शिकार रहे इन मनरेगा कर्मियों ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, सिक्किम समेत तमाम राज्यों में अपने वेतनमान पक्की नौकरी, प्रमोशन समेत आठ सूत्री मांगों को लेकर 26 और 27 अगस्त को दो दिवसीय कलम बंद हड़ताल की है।

देशव्यापी हड़ताल के साथ अखिल भारतीय मनरेगा कर्मी महासंघ ने प्रधान मंत्री को पत्र लिखकर मनरेगा कर्मियों की मांगों को पूरा करने का आग्रह किया है। इस पत्र में महासंघ ने लिखा कि राज्य सरकारों और विभागों की ओर से अब तक कोई कदम न उठाये जाने से देश के सभी मनरेगा कर्मी बहुत निराश और दुखी हैं।

महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव चिदानंद कश्यप 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "देश के मनरेगा कर्मियों की यह नाराजगी सरकारों से आज की नहीं है, हम 14 सालों से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, कई रोजगार सेवक पक्की नौकरी न मिलने से आत्महत्या करने को मजबूर हुए तो कई मानसिक शोषण का शिकार होकर गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं।" 

कोरोना आपदा के समय में भी झारखण्ड के मनरेगा कर्मियों ने मानव श्रंखला बनाकर सरकार से मांगे माने जाने की अपील की 

"हम चाहते हैं कि सालों से संविदा पर काम करते आ रहे मनरेगा कर्मियों को सरकारी सेवक घोषित किया जाए और पूरे देश में मनरेगा कर्मियों को उनके पदों के अनुसार एक समान मानदेय दिया जाए, मगर सरकारों ने हमारी मांगों पर कभी ध्यान नहीं दिया। भला आज की महंगाई में कम मानदेय पाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे किया जा सकता है, इसलिए सरकारों को हमारी मांगे माननी चाहिए, यह हड़ताल उसी का नतीजा है," चिदानंद कश्यप कहते हैं।

अखिल भारतीय मनरेगा कर्मी महासंघ की ओर से देश भर में आठ सूत्रीय मांगों को लेकर चल रही हड़ताल में सरकारी सेवक घोषित किये जाने, ग्राम रोजगार सेवकों को 24 हजार रुपये न्यूनतम मानदेय देने, सभी ग्रामीण योजनाओं में मनरेगा कर्मियों में योगदान देने, पदों के अनुसार देश भर में मनरेगा कर्मियों को एक सामान मानदेय देने, भत्ते जैसी सुविधा दिए जाने जैसी मांगें शामिल हैं।

दूसरी ओर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु प्रताप सिंह बताते हैं, "कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने लक्ष्य आधारित योजना बनाकर मनरेगा कर्मियों से दबाव में काम लिया, अब जबकि मनरेगा में बजट बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हो चुका है तब भी सरकार संविदा पर काम कर रहे मनरेगा कर्मियों के बारे में विचार नहीं कर रही है, अगर सरकारों ने हमारी सांकेतिक हड़ताल पर कोई कदम नहीं उठाती है, तो आने वाले दिनों में और भी तेज आंदोलन किये जायेंगे।"

देखें मनरेगा कर्मियों की देशव्यापी हड़ताल की कुछ तस्वीरें ... 






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