अगर मांगें माननी थी तो किसानों को क्यों कराया 200 किमी लम्बा मार्च : अन्ना हजारे

Update: 2018-03-13 12:37 GMT
मुम्बई मार्च में हिस्सा लेती महिला किसान।

मुंबई। भारत जैसे कृषि अर्थव्यवस्था वाले देश में किसानों को मार्च करने को मजबूर होना पड़ा, यह काफी निंदनीय है। किसानों की जो भी मांग है सब सही है और सरकार को उन्हें सुलझाने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। भाजपा की राज्य व केंद्र सरकार की अालोचना करते हुए रालेगण-सिद्धी में समाजसेवी अन्ना हजारे ने किसानों के समर्थन में कहा।

समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा कि अगर सरकार किसानों की मांगों को मांगने के लिए गंभीर थी तो क्यों 30 हजार किसानों को बीते छह दिनों में 200 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी।

अन्ना हजारे ने कहा, "इंतजार कीजिए और देखिए 23 मार्च को दिल्ली में मेरे प्रदर्शन के दौरान कितने लोग आते हैं।"

समाजसेवी अन्ना हजारे 23 मार्च से रामलीला मैदान में धरने पर बैठेंगे।

महाराष्ट्र में किसानों की खस्ताहालत को लेकर पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों की कड़ी आलोचना की है। शरद पवार ने कहा, "केंद्र ने क्यों नहीं किसानों की समस्या सुनने और सुलझाने के लिए एक दल को नासिक भेजा? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के चार वर्ष हो गए, लेकिन कृषि उत्पाद के न्यूनतम मूल्य को लागू नहीं किया गया।"

शरद पवार ने कहा कि अगर किसानों की मांग नहीं मानी गई तो किसानों के आंदोलन की आग महाराष्ट्र से बाहर जाकर पूरे देश में फैलेगी।

अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की ओर से आयोजित इस मार्च में मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के किसान धड़े के किसान लाल टोपी पहने, हाथों में लाल झंडे लिए ड्रम बजाते हुए मार्च में शामिल हुए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस से किसान नेताओं की हुई मुलाकात के बाद अधिकतर मांगें मान ली गईं हैं।

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इनपुट आईएएनएस

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