‘किसानों को अधिक एमएसपी देने पर देश में महंगाई बढ़ने की आशंका’ 

Update: 2018-02-13 11:46 GMT
खेत और किसान।

नयी दिल्ली। बजट में किसानों को अधिक न्यूनतम समर्थन (एमएसपी) मूल्य देने की घोषणा करने से महंगाई बढ़ने की आशंका है, ऐसे में सरकार को किसानों और ग्राहकों के हितों को साधने के लिए संभलकर चलने की जरुरत है। यह बात आज यहां औद्योगिक मंडल एसोचैम ने कही।

उल्लेखनीय है कि आम बजट 2018-19 में सरकार ने फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को फसल उत्पादन की लागत से 50 फीसदी अधिक पर तय करने का प्रस्ताव किया है।

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एसोचैम अध्यक्ष संदीप जजोदिया ने कहा, बजट में कृषि क्षेत्र पर बहुत अधिक ध्यान दिए जाने से ग्रामीण स्तर पर उम्मीदें बढ़ गई हैं। राष्ट्रीय बहस के ग्रामीण भारत की समस्याओं के ओर मुड़ जाने के अलावा सरकार के सामने न्यूनतम समर्थन मूल्य को तय करने में बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है जो सरकार के वादे के अनुरुप नहीं प्रतीत होती है।

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उन्होंने कहा कि मीडिया में कृषि-अर्थशास्त्रियों और किसान संगठनों के बीच लागत तय करने के मुद्दे पर कई तरह से बहस हुई है। इसका सीधा प्रभाव खुदरा मुद्रास्फीति पर दबाव के रुप में दिख रहा है। उन्होंने कहा, ग्राहकों और किसानों के हितों के टकराव के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए सरकार को बहुत संभलकर चलने की जरुरत होगी। मुद्रास्फीति में पिछले छह महीनों से लगातार उछाल का दौर बना हुआ है और इसके छह प्रतिशत के स्तर तक पहुंचने की संभावना है और इससे आम घरों में अशांति का माहौल बन सकता है।

दूसरी तरफ भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी ऋण नीति में कहा है कि उसका अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाए जाने से खुदरा मुद्रास्फीति पर प्रभाव पड़ने का आकलन करना बाकी है।

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बयान में कहा गया है, "किसानों को दालों, गेहूं और धान का पर्याप्त लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के साथ ही सब्जियों और फलों की कीमतों पर लगाम भी लगानी होगी, जिसके कारण सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) में बढ़ोतरी होती है। आगे चलकर मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा निर्धारित की गई चार फीसदी की सीमा को पार कर सकती है।"

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एसोचैम की प्रबंधन समिति की बैठक में जाजोदिया ने कहा कि क्या उपभोक्ता और खासतौर से जो शहरी क्षेत्रों में रहनवाले उपभोक्ता सरकार के साथ आएंगे और इस तर्क को स्वीकार करेंगे कि क्या किसानों को संरक्षित किया जाना चाहिए।

इनपुट भाषा

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