जीएसटी से उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त कर का भार नहीं पड़ेगा : अरुण जेटली

Update: 2017-03-29 14:53 GMT
वित्त मंत्री अरुण जेटली।

नई दिल्ली (भाषा)। वस्तु एवं सेवा कर को संवैधानिक मंजूरी प्राप्त पहला संघीय अनुबंध करार देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त कर का भार नहीं डालते हुए जीएसटी के माध्यम से देश में ‘एक राष्ट्र, एक कर' की प्रणाली लागू करने का मार्ग प्रशस्त होगा।

जीएसटी लागू होने के बाद वस्तु एवं जिंस की कीमतों में वृद्धि की आशंकाओं को खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कर की दरें वर्तमान स्तर पर रखी जाएंगी ताकि इसका मुद्रास्फीति संबंधी प्रभाव नहीं पड़े।

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अरुण जेटली ने लोकसभा में जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (सी जीएसटी बिल), एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (आई जीएसटी बिल), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी जीएसटी बिल) और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 को सर्व सम्मति से पारित करने की जरुरत बतायी ताकि देश में ‘एक राष्ट्र, एक कर' की व्यवस्था को लागू किया जा सके।

वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद कर ढांचे को सर्व सम्मति से तय कर रही है और इस बारे में अब तक 12 बैठकें हो चुकी हैं। यह विधेयक केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझी सम्प्रभुत्ता के सिद्धांत पर आधारित है और यह ऐसी पहली पहल है।

जीएसटी संवैधानिक मंजूरी प्राप्त पहला संघीय अनुबंध

उन्होंने कहा, ‘‘ यह संवैधानिक मंजूरी प्राप्त पहला संघीय अनुबंध है, यह ऐतिहासिक एवं क्रांतिकारी विधेयक है, जीएसटी परिषद सही मायने में पहला संघीय संस्थान है, इसमें केंद्र ने अपनी सम्प्रभुत्ता रखी है, इसमें राज्यों ने अपनी सम्प्रभुत्ता रखी है। इसके साथ केंद्र राज्य संबंध के नाजुक तार को कायम रखा गया है।''

लोकसभा में इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, कई वरिष्ठ मंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आदि मौजूद थे।

जीएसटी के लागू होने पर केंद्रीय स्तर पर लगने वाले उत्पाद शुल्क, सेवाकर और राज्यों में लगने वाले मूल्य वर्धित कर (वैट) सहित कई अन्य कर इसमें समाहित हो जाएंगे।

जीएसटी व्यवस्था में चार दरें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत लगाना तय

वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद ने विचार विमर्श के बाद जीएसटी व्यवस्था में चार दरें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत तय की हैं। लक्जरी कारों, बोतलबंद वातित पेयों, तंबाकू उत्पाद जैसी अहितकर वस्तुओं एवं कोयला जैसी पर्यावरण से जुड़ी सामग्री के ऊपर अतिरिक्त उपकर भी लगाने की बात कही है।

28 प्रतिशत से अधिक लगने वाला उपकर (सेस) मुआवजा कोष में जाएगा

उन्होंने कहा कि 28 प्रतिशत से अधिक लगने वाला उपकर (सेस) मुआवजा कोष में जाएगा और जिन राज्यों को नुकसान हो रहा है, उन्हें इसमें से राशि दी जाएगी। ऐसा भी सुझाव आया कि इसे कर के रूप में लगाया जाए। लेकिन कर के रूप में लगाने से उपभोक्ताओं पर प्रभाव पड़ता। लेकिन उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त कर नहीं लगाया जाएगा।

जेटली ने विधेयकों को स्पष्ट करते हुए कहा कि केंद्रीय जीएसटी संबंधी विधेयक के माध्यम से उत्पाद, सेवा कर और अतिरिक्त सीमा शुल्क समाप्त हो जाने की स्थिति में केंद्र को कर लगाने का अधिकार होगा। समन्वित जीएसटी या आईजीएसटी के जरिए वस्तु और सेवाओं की राज्यों में आवाजाही पर केंद्र को कर लगाने का अधिकार होगा।

उन्होंने कहा कि पांच ऐसे केंद्र शासित प्रदेश जहां विधानसभा नहीं हैं, इसके अलावा कुछ ऐसे जल क्षेत्र हैं जिन्हें केंद्र शासित प्रदेश के दायरे में रखा जाता है। यूटी जीएसटी विधेयक इससे जुड़ा है, राज्य सी-जीएसटी विधेयक पारित करेंगे, जिसके माध्यम से वैट जैसे कर समाप्त होने की स्थिति में राज्यों को बिक्री कर लगाने की अनुमति मिलेगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 में जीएसटी लागू से घाटा उठाने वाले प्रदेशों को मुआवजे का प्रावधान है। इसके जरिए जिन राज्यों को इसके कारण घाटा हुआ है, उन्हें पहले पांच वर्षो तक राजस्व नुकसान की भरपाई का प्रावधान है।

जेटली ने कहा कि जीएसटी के बारे में सभी निर्णय जीएसटी परिषद ने लिए जिसमें केंद्र के अलावा 29 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं, यह संघीय स्वरुप को प्रदर्शित करता है।

जेटली ने कहा कि इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि जीएसटी के प्रावधानों का दुरुपयोग नहीं किया जा सके। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद की 12 बैठकें हुई है और इनमें यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि जीएसटी प्रणाली के बारे में सभी सिफारिशों पर सर्व-सम्मति बने।

उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद कर ढांचे केे बारे में केंद्र और राज्यों को सिफारिशें देगी। ‘‘ यह संवैधानिक मंजूरी के साथ संघीय अनुबंध है।''

अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी कर प्रणाली में नई प्रकार की विविधता लाएगा और देश में वस्तुओं का मुक्त प्रवाह सुनिश्चित होगा।

अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र की नई वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली को पूरे देश में अमल में लाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए चार विधेयक तैयार किए गए हैं, इन पर संसद की मुहर और अलग से तैयार राज्य जीएसटी विधेयक को सभी राज्यों की विधानसभाओं में मंजूरी मिलने के बाद पूरे देश में जीएसटी व्यवस्था को लागू करने की विधायी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

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