मन की बात मेें प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, देशभर में 10 करोड़ किसानों ने बनवाए मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड

Update: 2017-11-26 14:39 GMT
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। फाइल फोटो

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर माह में मन की बात में कहा कि देशभर में हमारे किसानों ने 10 करोड़ से अधिक मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड बनवा लिए हैं ताकि वे अपनी मिट्टी को बेहतर ढंग से समझ सकें और उस अनुरुप, फसल भी बो सकें। मोदी ने कहा कि यूरिया के उपयोग से जमीन को गंभीर नुकसान पहुंचता है, ऐसे में हमें संकल्प लेना चाहिए कि 2022 में देश जब आजादी के 75वीं वर्षगांठ मना रहा हो तब हम यूरिया के उपयोग को आधा कम कर दें।

मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसान तो धरती का पुत्र है, किसान धरती-माँ को बीमार कैसे देख सकता है? समय की माँग है, इस माँ-बेटे के संबंधों को फिर से एक बार जागृत करने की। मोदी ने कहा कि, अगर फसल की चिंता करनी है, तो पहले धरती मां का ख्याल रखना होगा।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि हर प्रकार के वैज्ञानिक तरीकों से यह सिद्ध हो चुका है कि धरती-माँ को आवश्यकता से अधिक यूरिया के उपयोग से गंभीर नुकसान पहुंचता है। किसान तो धरती का पुत्र है, किसान धरती-माँ को बीमार कैसे देख सकता है?

उन्होंने कहा कि समय की माँग है, इस माँ-बेटे के संबंधों को फिर से एक बार जागृत करने की। क्या हमारे किसान, हमारे धरती के पुत्र, हमारे धरती के संतान ये संकल्प कर सकते हैं कि आज वो अपने खेत में जितने यूरिया का उपयोग करते हैं, 2022 में जब आजादी के 75 साल होंगे, तब वह उसका आधा उपयोग बंद कर देंगे?

कुछ कारखानों में मरम्मत आदि का काम चलने के बीच देश का यूरिया उत्पादन मौजूदा वित्त वर्ष में 3,00,000 टन घटकर 2.41 करोड़ टन रहने का अनुमान है। उर्वरक मंत्रालय में एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, कुल यूरिया उत्पादन कम रहेगा क्योंकि कुछ कारखाने बंद हैं और उर्जा बचत के लिहाज से उनका जीर्णोद्धार किया जा रहा है और वे कुछ समय से बंद है, इसी कारण उत्पादन तीन लाख टन कम रहेगा। नीम लेप वाली यूरिया अगले साल से 50 किलो के बजाय 45 किलो के थैले में बिक्री करने की योजना है।

मोदी ने कहा कि एक बार अगर माँ-धरती का पुत्र, मेरा किसान भाई, ये संकल्प कर ले तो देखिए कि धरती-माँ की सेहत सुधर जाएगी, उत्पादन बढ़ जाएगा। किसान की जिंदगी में बदलाव आना शुुरू हो जाएगा।

विश्व मृदा दिवस का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इस देश के किसान के जीवन में, दोनों ही बातों का महत्व रहा है- अपनी मिट्टी के प्रति भक्ति और साथ-साथ वैज्ञानिक-रुप से मिट्टी को सहेजना संवारना। हम सबको इस बात का गर्व है कि हमारे देश के किसान, परंपरा से भी जुड़े रहते हैं और आधुनिक विज्ञान की तरफ भी रुचि रखते हैं, प्रयास करते हैं, संकल्प करते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे यह देख कर बहुत खुशी होती है कि मेरे किसान भाई मृदास्वास्थ्य कार्ड में दी गई सलाह पर अमल करने के लिए आगे आए हैं और जैसे-जैसे परिणाम मिल रहे हैं, उनका उत्साह भी बढ़ता जा रहा है, अब किसान को भी लग रहा है कि अगर फसल की चिंता करनी है तो पहले धरती-माँ का ख्याल रखना होगा और अगर धरती-माँ का ख्याल हम रखेंगे तो धरती-माँ, हम सब का ख्याल रखेंगी।

मोदी ने कहा कि देश-भर में हमारे किसानों ने 10 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवा लिए हैं ताकि वे अपनी मिट्टी को बेहतर ढंग से समझ सकें और उसके अनुरूप, फसल भी बो सकें। प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन अब हम सब लोग अनुभव करने लगे हैं, वो भी एक अतीत था कि दीवाली के पहले सर्दी आ जाती थी। अब दिसम्बर दस्तक दे रहा है और सर्दी बहुत धीरे-धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही है लेकिन जैसे ही सर्दी शुरू हो जाती है, हम सब का अनुभव है कि रजाई से बाहर निकलना जरा अच्छा नहीं लगता है लेकिन, ऐसे मौसम में भी सतत-जागरुक रहने वाले लोग कैसा परिणाम लाते हैं ..... और ये उदाहरण हम सब के लिए प्रेरणा देते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नवंबर माह के मन की बात गुजरात विधानसभा चुनाव पूर्व भाजपा नेता राज्य के सभी मतदान केंद्रों पर रेडियो सुना।

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