आज ही के दिन 21 तोपों की सलामी के साथ चली थी भारत में पहली रेल

Update: 2017-04-16 12:40 GMT
16 अप्रैल 1853 को चली भारत की पहली रेल

लखनऊ। फाकलैंड नाम के भाप के इंजन से धुआं उड़ाती, लोहे की पटरी पर छुक-छुक करती 14 डिब्बों की रेल पहली बार आज ही के दिन, 164 साल पहले यानि 16 अप्रैल 1853 को मुंबई से ठाणे के बीच चली थी।

16 अप्रैल 1853 को दोपहर 3 बजकर 30 मिनट पर बोरी बंडर (अब छत्रपति शिवाजी टर्मिनल) से 21 तोपों की सलामी के साथ शुरू हुए 35 किलोमीटर के इस रोमांचक सफर को 400 लोगों ने तय किया था। उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए पूरे देश के गणमान्य लोगों को संदेशा भेजा गया था। भारतीय रेलवे को तब ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे कहा जाता था। उस समय लोगों के मन में ट्रेन को देखते का उत्साह इस कदर था कि सुबह से ही बोरी बंडर रेलवे स्टेशन के आस-पास भीड़ इकट्ठा होना शुरू हो गई थी। वह ऐतिहासिक पल था ट्रेन के इंजन ने सीटी बजने के साथ धुआं छोड़ते हुए पटरी पर आगे बढ़ना शुरू किया था।

भारतीय रेल के इतिहास पर लिखी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में ट्रेन की शुरुआत की कहानी 1846 में अमेरिका में कपास की फसल को हुए भारी नुकसान से जुड़ी हुई है। यह नुकसान इतना बड़ा था कि मैनचेस्टर और ग्लासगो के कपड़ा करोबारियों के लिए अमेरिका छोड़कर दूसरे स्थान की तलाश करना जरूरी हो गया। ऐसे में उन्हें भारत अपने लिए सबसे अच्छा स्थान लगा।

अंग्रेजो को सेना के परिचालन के लिए भी रेलवे का विकास करना भी जरूरी लग रहा था। इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए सन 1843 में लॉर्ड डलहौजी ने भारत में ट्रेन चलाने की संभावना तलाश करने का कार्य शुरू किया। उन्होंने मुम्बई, कोलकाता और चेन्नई को रेल नेटवर्क से जोड़ने का प्रस्ताव दिया। हालांकि इस पर तुरंत अमल नहीं हो सका। इस उद्देश्य के लिए साल 1849 में ग्रेट इंडियन पेंनिनसुलर कंपनी क़ानून पारित हुआ और भारत में रेलवे की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ।

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1853 से शुरू होने के करीब 50 साल तक भारतीय ट्रेनों में शौचालय नहीं होता था। पश्चिम बंगाल के एक शख्स ओखिल चंद्र सेन ने 1909 में पैसेंजर ट्रेन से यात्रा के अपने बुरे अनुभव के बारे में साहिबगंज रेल डिवीजन के ऑफिस को एक खत लिखकर बताया। इस करारे पत्र के बाद ब्रिटिश हुकूमत को यह ख्याल आया कि ट्रेनों में टॉयलट की बहुत आवश्यकता है। यह पत्र आज भी भारतीय रेल संग्रहालय में मौजूद है।

भारत में 35 किलोमीटर के पहले सफर से शुरुआत करने के बाद अब भारतीय रेल का नेटवर्क 66, 687 किमी लंबा हो गया है। 2015-16 के अंत तक भारतीय रेल नेटवर्क में 7,216 स्टेशन हैं और 22 मिलियन लोग रोज भारतीय रेल से सफर करते हैं। 13,313 यात्री गाड़ियों सहित लगभग 15,500 रेलगाड़ियां भारत में चलती हैं। भारतीय रेलवे 17 जोन्स में बंटा हुआ है जिन्हें 68 सब डिवीजन में भी बांटा गया है।

उत्तर रेलवे भारत का सबसे बड़ा जोन है जिसका हेडक्वार्टर दिल्ली में है। दिल्ली, अंबाला, फिरोजपुर, लखनऊ और मुरादाबाद इसके सब डिवीजन हैं जिनमें कुल 1142 स्टेशन हैं। लखनऊ स्टेशन उत्तर रेलवे और पूर्वोतर रेलवे दोनों का सब डिवीजन है। लखनऊ रेलवे स्टेशन से हर दिन लगभग 300 ट्रेन गुजरती हैं और लगभग 10 लाख लोग रोजाना यहां से गुजरने वाली रेलों से सफर करते हैं।

अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथे नंबर पर आने वाला भारतीय रेलवे तरक्की की नई कहानियां लगातार गढ़ रहा है। 1984 में पहली बार कोलकाता में मेट्रो ट्रेन शुरू करने के बाद अब जल्द ही भारत बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में जापान के साथ हुए समझौते के अनुसार अहमदाबाद से लेकर मुंबई तक पहली बुलेट ट्रेन चलाई जाएगी। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 9,800 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। ऐसा अनुमान है कि यह बुलेट ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से सफर तय करेगी।

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