हां मैने घूस दी ... देश के डेढ़ लाख से ज़्यादा लोगों ने बताई अपनी कहानी 

Update: 2018-01-29 14:38 GMT
आई पेड अ ब्राइब वेबसाइट पर ली गई घूस के बारे में दे सकते हैं जानकारी। 

नया बिजली का कनेक्शन लेना हो या ड्राईविंग लाइसेंस बनवाना, या फिर अपने घर का निवास प्रमाण पत्र जल्द से जल्द बनवाने के लिए के लिए आपने सरकारी दफ्तरों में रिश्वत ज़रूर दी होगी। ऐसे कई मौकों पर हम सभी आसानी से रिश्वत दे देना ही ठीक समझते हैं न कि उसका विरोध कर के उसे खत्म करना। बैंगलोर के रमेश रामनाथन व स्वाती रामनाथन ने ' आई पेड अ ब्राइब ' नाम से भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए एक इनोवेटिव तरीक़ा खोज निकाला है।

भारत में फैले रिश्वत के बाज़ार को सामने लाने व घूसखोरी के मामलों पर लगाम लगाने के लिए साल 2010 में शुरू हुई बैंगलोर की वेबसाइट ' आई पेड अ ब्राइब ' को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओजी) पर इंटरनेशनल एंटी-करप्शन ऐक्सीलेंस पुरस्कार 2017 भी मिल चुका है।

बताई गई शिकायतों पर लिया जाता है एक्शन। 

आई पेड अ ब्राइब वेबसाइट को देशभर में मिल रही सराहना के बारे में इस बेवसाइट की प्रमुख संचालक सिल्विया वीरराघवन ने बताया,'' हमारी वेबसाइट एक ऐसा ऑनलाइन मंच है, जो लोगों को खुले तौर पर रिश्वत के मामलों पर चर्चा करके करप्शन से निपटने में मदद करता है।''

कम समय में वेबसाइट को मिली सफलता के बारे में उन्होंने आगे बताया कि वेबसाइट की शुरूआत में लोग धूस देने के मामलों को डर के कारण अपना नाम नहीं बताना चाहते थें, लेकिन अब लोग हमसे अपना नाम बताकर घूस लेने वाले आधिकारियों का नाम भी बताते हैं, जिससे हमें उन सरकारी लोगों पर एक्शन लेने में मदद मिलती है।

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आई पेड अ ब्राइब वेबसाइट पर पूरे देश भर से एक करोड़ से ज़्यादा लोग आ चुके हैं, ये लोग कुल 1,072 शहरों के हैं। वेबसाइट पर देश भर से आए घूसखोरी के 1,52,941 मामलों में करीब 2,875 करोड़ रुपए की घूस राशि सामने आई है।

सरकारी अधिकारियों की निगरानी में होती है शिकायतों की निस्तारण। 

'' वेबसाइट को एंटी-करप्शन एवार्ड मिलने का मुख्य कारण था, कि इसमें न केवल लोगों को भ्रष्टाचार के मामलें रिपोर्ट करने की सुविधा मिलती है, बल्कि बेवसाइट घूसखोरी की घटनाओं में लोगों के रिश्वत न देने के मामलें भी बताए जाते हैं। इसके साथ साथ ईमानदार ऑफीसरों के बारे में भी जानकारी दी जाती है, जो बिना रिश्वत लिए लोगों का काम कर देते हैं।'' सिल्विया वीरराघवन ने आगे बताया।

इस वेबसाइट पर देश के राज्यों से आए घूसखोरी के मामलों के बारे में अलग से जानकारी दी जाती है। इससे साथ साथ वेबसाइट के साथ दो पूर्व सरकारी अधिकारी डॉ. मालती दास, पूर्व आईएएस अधिकारी और मुख्य सचिव योजना व सांख्यिकी, कर्नाटक सरकार और पूर्व डीजी और पुलिस महानिरीक्षक, कर्नाटक सरकार रह चुके डॉ. एसएस रमेश भी जुड़े हैं। ये दोनो अधिकारी बेवसाइट में देश भर से आए घूस के मामलों की निगरानी कर संबंधित विभाग को इसकी जानकारी देते हैं।

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आई पेड अ ब्राइब वेबसाइट घूस से जुड़े मामलों के अलावा पासपोर्ट आवेदन, रेलवे, आयकर, नगरपालिका सेवाओं, राजस्व, और पुलिस विभाग से संबंधित मामलों को कैसे निपटाएं, इस बारे में भी गाइड करती है।

तो, अगली बार सकड़ पर रेड लाइट पार कर जाने पर पुलिसवाला अगर चालान न काटकर 500 रुपए में मामला रफा-दफा करने की बात करे, तो www.ipaidabribe.com पर खुलकर इस बारे में बताएं।

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