नई दिल्ली (भाषा)। बीज कंपनियों के संगठन फेडरेशन और सीड इंडस्ट्रीज आफ इंडिया (एफएसआईआई) ने आज कहा कि बीटी कपास के बीज के पेटेंट पर अमेरिका की जैव प्रौद्योगिकी कंपनी मोनसेंटो के दावे को खारिज करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के हाल के आदेश से देश में कृषि- जैवप्रौद्योगिकी क्षेत्र में निवेश प्रभावित हो सकता है।
अनुसंधान के जरिए बीजों का विकास करने वाली कंपनियों के नए संगठन एफएसआईआई ने एक बयान में कहा, "हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इसका असर बीज और कृषि जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र से अधिक व्यापक क्षेत्र में होगा।" एफएसआईआई ने कहा कि अगर पेटेंट कानून के तहत किसी नए बीज पर दिए गए पेटेंट के अधिकार को पौध प्रजातियों एवं किसानों के अधिकारों के संरक्षण के कानून (पीपीवी और एफआर अधिनियम) के तहत अमान्य कर दिया जाता है तो कोई कंपनी कृषि क्षेत्र में नयी किस्मों के विकास पर पैसा नहीं लगाएगी।
एफएसआईआई ने कहा है कि यह स्वीकार करने की जरूरत है कि कई संगठनों ने कृषि अनुसंधान क्षेत्र में बड़ा निवेश कर रखा है। इस निर्णय से अपनी नयी प्रौद्योगिकी के लाइसेंस देने के ऐसे संगठनों के अधिकार पर अंकुश लगेगा और इससे इस क्षेत्र में आगे निवेश में रुकावट आएगी।