आत्मविश्वास से परीक्षा देने के लिए पढ़ें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बताएं फार्मूले 

Update: 2018-02-16 16:13 GMT
परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छात्रों से कहा कि अपने दिमाग से ये निकाल देना चाहिए कि कोई परीक्षा लेने वाला है और अंक देने वाला है बल्कि उन्हें स्वयं अपना परीक्षक बनना चाहिए।

परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के माध्यम से नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित समारोह में छात्रों से सीधा संवाद एवं अन्य क्षेत्रों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सम्पर्क करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्रों को परीक्षा में आत्मविश्वास से देने के फार्मूले बताएं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, आत्मविश्वास कोई जड़ीबूटी नहीं है कि मम्मी या कोई कह दें कि एग्जाम में जाने से पहले ऐसा टेबलेट ले लेना और आ जाए। हर पल कसौटी पर कसने की आदत डालनी होगी। आत्मविश्वास हर पल प्रयासों के साथ आता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला उदाहरण :-

कनाडा के स्नो बोर्ड के एक खिलाड़ी जो दक्षिण कोरिया में स्नो बोर्ड खेल में हिस्सा लेने और कांस्य पदक जीतने से पहले दुर्घटना का शिकार हो गया था। वह युवक कोमा में चला गया था लेकिन कोमा से लौटने के बाद उसने अपने देश के लिए ब्रांज मेडल जीता जबकि उसकी हड्डी पसली टूट गई थी।

प्रधानमंत्री ने एकाग्रता के लिए योग के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि यह बॉडी बाइंडिंग का काम नहीं है। इसका काम शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा को एक लय में चलाना होता है ।

मोदी ने उपस्थित छात्रों से कहा कि आप लोग टेंशन में हैं क्या? यह भूल जाइए कि आप प्रधानमंत्री से बात कर रहे हैं। यह सोचिए मैं आपको दोस्त हूं। नोएडा से कनिष्का वत्स ने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि अगर कोई स्टूडेंट पढ़ाई पर ध्यान लगाना चाहता है लेकिन ध्यान बंटता है तो क्या करना चाहिए?'

परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्कूल जाते वक्त दिमाग से यह निकाल दें कि आप परीक्षा देने जा रहे हैं। आप यह समझिए कि आप ही अपने को अंक देने वाले हैं। इस भाव के साथ आप परीक्षा में बैठिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूसरा उदाहरण :-

सचिन तेंदुलकर ने कहा था कि वे यह नहीं सोचते कि आगे वाली गेंद कैसी होगी या पिछली गेंद कैसी थी बल्कि उस समय की गेंद खेलते है। वर्तमान में जीने की आदत ध्यान केंद्रित करने का रास्ता खोल देती है।

उन्होंने कहा कि इसका अर्थ यह नहीं है कि अतीत का महत्व नहीं है, अतीत का अपना महत्‍व है, लेकिन जब वह बोझ बन जाता है तो भविष्य के सपने रौंद देता है और वर्तमान भी मुश्किलों भरा हो जाता है। अपने आप को जानने की कोशिश करें।

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परीक्षा के दबाव के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा, आप अपने दोस्तों के साथ स्पर्धा में क्यों उतरते हैं? आपके सपने अलग हैं, वातावरण अलग है। पहले हमें खुद को जानना चाहिए। जब आप प्रतिस्पर्धा में उतरते हैं तो तनाव महसूस होता है। आप खुद के लिए काम करें। प्रतिस्पर्धा अपने आप हो जाएगी, पहले आप खुद को जानने की कोशिश करें और जिसमें समर्थ हैं, उसी में आगे बढ़ने की कोशिश करिए। उन्होंने कहा कि अगर एक बार हम खुद से दो कदम आगे बढ़ना सीख लेंगे तो भीतर से ऊर्जा प्रकट होगी जो नए क्षितिजों को पार करने की ताकत देगी इसलिए प्रतिस्पर्धा से निकलकर अनुस्पर्धा करें। इसलिए स्वयं से स्पर्धा करें।

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'परीक्षा के दौरान मां बाप बच्चों पर दबाव बनाते हैं लेकिन संतुष्ट नहीं होते हैं। इससे बच्चों की अंदर की इच्छाएं मर जाती हैं।

बच्चों के इस सवाल पर प्रधानमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि क्या आप चाहते हैं कि वे उनके माता-पिता की क्लास लें? उन्होंने कहा, हमें अपने माता पिता के इरादों पर शक नहीं करना चाहिए, यह स्वीकार करना चाहिए कि मां-बाप ने आपके सपनों को साकार करने के लिए जीवन खपा दिया है। एक बार यह तय कर लें तब सब कुछ ठीक हो जाता है। कुछ माता-पिता अपने बच्चों से अपने अधूरे सपनों को पूरा करवाना चाहते हैं। यह ठीक नहीं होता है।

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बच्चों को प्रेरित करते मोदी ने कहा कि हर बच्चे में हुनर होता है, वे सभी माता-पिता से भी अनुरोध करते हैं कि अपने बच्चों को केवल एक परीक्षा से नहीं तोलें। जिंदगी में ऐसे बहुत से एक्जाम आएंगे इसीलिए उन्हें प्रेरित करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि सबसे पहले बच्चों को डिफोकस होना सीखना चाहिए । घड़े में अगर पानी ऊपर तक भर जाएगा तो पानी तो बाहर निकलेगा ही। इसीलिए सबसे पहले डिफोकस होना सीखिए, इससे आपको तनाव नहीं होगा।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज छात्रों के इर्दगिर्द 24 घंटे परीक्षा, कैरियर जैसे शब्द चलते रहते हैं। यह समझने की जरूरत है कि इससे भी परे दुनिया है। खेलकूद है, पंचमहाभूत हैं जिसमें पृथ्वी, आकाश, वायु, जल, अग्नि शामिल है। हमारे शरीर की रचना ही ऐसी बनी है कि जब भी हम इन पंचमहाभूतों के सम्पर्क में आते हैं, तो यह हमें तरोताजा कर देती है। छात्रों से अपनी पसंद की चीजे करने जैसे खेलने, गीत गाने, खुले पांव मिट्टी पर चलने आदि का सुझाव दिया।

परीक्षा के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने के सुझाव

  1. अपने बहुमूल्य समय का भरपूर उपयोग करें।
  2. सबसे पहले प्राथमिकता तय करें।
  3. समय के अनुसार अपने टाइमटेबल को तय करें।
  4. सभी छात्रों को डायरी लिखनी चाहिए, डायरी में लिखें कि कल क्या क्या करना है।

प्रधानमंत्री ने अभी कुछ दिनों पहले ही अपनी पुस्तक 'एक्जाम वारियर्स' लांच किया था।

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इनपुट भाषा

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