अवैध खनन तो रुक गया लेकिन बीमारियों से भी अब भी लोग परेशान

Update: 2017-07-21 20:12 GMT
वर्तमान में यहां 56 लोग एड्स पीड़ित हैं..

इलाहाबाद। यहां शंकरगढ़ ब्लॉक में स्थानीय लोग पानी की समस्या से तो जूझ ही रहे थे, अब एड्स, टीबी और मलेरिया के अलावा कई तरह की अलग-अलग बीमारियों ने भी इलाके में घर कर लिया है। हालांकि सबसे ज्यादा मरीज एड्स और मलेरिया के बताए जा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक इस ब्लॉक में वर्तमान में 56 पुरुष-महिलाएं एड्स पीड़ित हैं, जिनका इलाज चल रहा है।

इसके पीछे वजह यहां कई वर्षों से हो रहा खनन बताया जा रहा है जिस पर पिछले दिनों सरकार ने रोक लगा दी है। इलाहाबाद जिले से 45 किलोमीटर दूर स्थित शंकरगढ़ ब्लॉक में यहां वर्षों से मशहूर सिल्क सेंड का खनन होता था। ज्यादातर खनन अवैध तरीके से किया जाता था। खनन के कारण स्थानीय लोगों को रोजगार तो मिला, लेकिन इसके साथ-साथ कई गंभीर बीमारियां भी मिल गईं।

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2008 से 2017 तक यहाँ 56 लोग एचआईवी पीड़ित पाए गए हैं। इस साल अप्रैल और मई में चार एचआइवी पॉजिटिव सामने आए हैं। इसमें से दो गर्भवती महिलाएं, एक पुरुष और एक छह साल का लड़का है। सबसे ज्यादा 2012-13 में 11 लोग एचआईवी पॉजिटिव पाए गए थे।

56 लोग एचआईवी पॉजिटिव

यूपी के सुदूर ग्रामीण इलाके में 56 पुरुष, महिला और बच्चे एचआईवी पॉजिटिव हैं और उनका इलाज स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जानकारी लेने पर पता चला कि 2008 से 2017 तक यहाँ 56 लोग एचआईवी पीड़ित है। इस साल अप्रैल और मई में चार एचआइवी पॉजिटिव सामने आए हैं। इसमें से दो गर्भवती महिलाएं, एक पुरुष और एक छह साल का लड़का है। सबसे ज्यादा 2012-13 में 11 लोग पॉजिटिव पाए गए थे।

यहां लोग पीने के पानी के लिए परेशान रहते हैं... 

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एक डॉक्टर ने बताया कि यहां अब तक 2227 महिलाओं और 2312 पुरुषों का एचआईवी जांच किया गया है। लोगों में यहां बीमारी के प्रति ज्यादा जागरुकता भी नहीं है। जब बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है, तब ही जांच के लिए आते हैं।

एड्स होने का मुख्य कारण बना खनन

एक डॉक्टर बताते हैं, ‘एचआईवी पॉजिटिव का मुख्य कारण यहां पलायन, आर्थिक और भौगोलिक कारण है। खनन के कारण शुरुआत से यहां बाहर के लोगों का आना जाना लगा रहा। मजदूर यहां काम करने आते थे तो ट्रक चालक यहां खनन से निकलने वाले समान को लेने आते थे। इसी दौरान एक-दूसरे के सम्पर्क में आए। इसका परिणाम यह हुआ कि यहां यह एक गंभीर बीमारी बन गई। खनन रुकने के बाद भी इसमें कमी नहीं आने के पीछे वजह यह है कि मजदूरी के लिए यहां के लोग शहरों के तरफ जा रहे हैं। वहां बेहतर ज़िन्दगी जी तो पाते नहीं और गलत संगत में आकर इस तरह की बीमारियों के शिकार होते जा रहे हैं।’’

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खनन से टीबी और मलेरिया के मरीज भी

शंकरगढ़ एक समय भारत में मलेरिया के लिए खतरनाक जोन में से एक था। स्थानीय निवासियों की मानें तो मलेरिया का भी मुख्य कारण अवैध खनन ही रहा है। छितिया गाँव के रहने वाले मंगू बताते हैं कि जब जिसका मन हुआ तो दस मजदूरों को लेकर खनन करने पहुंच जाता था। उनके साथ कोई जानकार होता नहीं था। ऐसे में मजदूर अपनी समझ के अनुसार खुदाई करते और सिल्क सेंड न मिलने पर खुदे गड्ढों को छोड़कर आगे चले जाते थे। इनमें मच्छर पैदा होने की वजह से मलेरिया जैसी बीमारियां फैल गईं। इसी तरह खनन के दौरान बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के काम करने के कारण मजदूर टीबी के भी शिकार हो गए। खनन बंद होने के बाद भी यह समस्या यहां मौजूद है।

इलाहाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर आलोक वर्मा बताते हैं, ‘शंकरगढ़ में एड्स की समस्या को देखते हुए कई इंतजाम किए गए है। आसपास के क्षेत्रों में जागरुकता फैलाई जाती है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एचआईवी सलाहकार का काम है लोगों को जागरूक करना। वहां एचआईवी किट रखा हुआ है। जिसमें भी लक्षण दिखाई पड़ते हैं उनकी जांच की जाती है। लोगों की पहचान गोपनीय रखी जाती है।’’

कई दूसरी बीमारियां भी फैल रही हैं

शंकरगढ़ स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर अपनी बेटी का इलाज कराने पहुंचे जनक बताते हैं, ‘‘शुरू से मेरी बेटी के पेट में दर्द रहता है। दर्द अचानक से बढ़ जाता है तो अपने आप खत्म हो जाता है। डॉक्टर भी समझ नहीं पा रहे है। आगे क्या भगवान जाने। इस तरह की बीमारी यहां हर दूसरे घर में होती है।’’

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