लखनऊ। 'लौहपुरुष' सरदार वल्लभ भाई पटेल ने गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में देश को एकजुट करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास किया। उन्हें सरदार पटेल के नाम से भी जाना जाता है। आइये उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक बातें बताते हैं।
गुजरात के किसान परिवार में जन्म
सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। इनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल था और वह एक किसान थे, वहीं माता का नाम लाडबा पटेल था, जो एक साधारण महिला थीं। सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रारंभिक शिक्षा करमसद में पूरी हुई। इसके बाद उन्होंने 22 साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसके बाद वह लंदन में बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए चले गये और सन् 1913 में वापस आकर अहमदाबाद में वकालत की।
जानें सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में कुछ खास बातें
- सरदार पटेल जी ने अपराधिक वकील के रूप में खूब नाम कमाया। उन्होंने कई ऐसे केस लड़े, जिन्हें दूसरे वकील हारा हुआ मानते थे। अपने प्रभावशाली वकालत की बदौलत वह दिनों-दिन प्रसिद्धि प्राप्त करते गए।
- वह महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित हुए और उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया।
- बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व करने और उसे सफल बनाने पर वहां की महिलाओं ने सरदार पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की।
- आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में उन्होंने महत्वपूर्ण निभाई।
- आजादी के 562 रियासतों और रजवाड़ों को भारत में मिलाया।
- भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिए ही उन्हें भारत का 'लौह पुरुष' के नाम से जाने जाता है।
- हालांकि प्रांतीय कांग्रेस समिति सरदार पटेल जी के पक्ष में थी, मगर उन्होंने महात्मा गांधी की इच्छा का मान रखते हुए अपने आपको प्रधानमंत्री के पद से दूर रखा।
- बतौर गृहमंत्री सरदार पटेल जी ने ही भारतीय नागरिक सेवाओं का भारतीयकरण कर इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाएं (आईएएस) बनाया।
- सरदार पटेल को मरणोपरांत वर्ष 1991 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। यह अवॉर्ड उनके पौत्र की ओर से स्वीकार किया गया।
सरदार पटेल के अनमोल वचन
"मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक देश बने और यहां कोई भूखा न हो। अन्न के लिए आंसू न बहे।"
"आपकी अच्छाई आपके मार्ग पर बाधक है, इसलिए अपनी आंखों को क्रोध से लाल होने दीजिए और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिए।"
"दुश्मन का लोहा भले गर्म हो जाए, लेकिन हथौड़ा तो ठंडा रहकर ही काम कर सकता है।"
"यदि हम हजारों की दौलत भी गवां दें और हमारा जीवन बलिदान हो जाए। हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर एवं सत्य पर विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए।"
"शक्ति के अभाव में विश्वास किसी काम का नहीं है। विश्वास और शक्ति दोनों किसी महान काम को करने के लिए अनिवार्य हैं।"