SC/ ST एक्ट : केंद्र ने कोर्ट से फैसला वापस लेने की मांग की, कहा- कमजोर हुआ कानून

Update: 2018-04-12 16:19 GMT
एससी/एसटी एक्ट पर फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लिखित जवाब दाखिल किया है

नई दिल्ली। SC/ ST एक्ट का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। देश के हिस्सों में जहां इसका अभी भी विरोध हो रहा है तो वहीं केंद्र सरकार भी इसकों लेकर सांसत में है। गुरुवार को केंद्र सरकार ने एससी/एसटी एक्ट पर फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लिखित जवाब दाखिल किया है। केंद्र सरकार ने कहा कि ये कानून के विपरीत है और इससे कानून हल्का हुआ।

इस जवाब में सरकार ने फैसले पर समीक्षा और कोर्ट द्वारा जारी किए गए निर्देशों को वापस लेने की मांग की है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एससी/एसटी ऐक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था।

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इसके अलावा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी थी। केंद्र सरकार ने कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट में हुए बदलावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुर्नविचार याचिका दायर की थी। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई की और फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, 'हम इस अधिनियम के खिलाफ नहीं हैं। बेकसूर को सजा नहीं मिलनी चाहिए।' न्यायालय ने कहा कि आंदोलन कर रहे लोगों ने फैसला उचित ढंग से नहीं पढ़ा है और वे निहित स्वार्थी तत्वों से गुमराह हो गए हैं।

न्यायालय ने कहा कि हमने कानून के प्रावधानों को नरम नहीं किया है, बल्कि निर्दोष व्यक्तियों की गिरफ्तारी के मामले में उनके हितों की रक्षा की है।उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जाति/ जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को कथित रूप से कमजोर किये जाने के खिलाफ दो अप्रैल को किए गए भारत बंद के दौरान हुए हिंसक प्रदर्शन में कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे।

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मध्य प्रदेश में सात लोगों की मौत हुई। बिहार के हाजीपुर में प्रदर्शनकारियों ने एंबुलेंस को रोका जिसमें मरीज की मौत हो गई। एक अनुमान के मुताबिक देश को करीब 20 हजार करोड़ का नुकसान हुआ। मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई जिलों में परिवहन पूरी तरह से ठप रहा।

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