FathersDay : एक इलेक्ट्रिक रिक्शा ड्राइवर जो इस नेक काम में कर रहा है बेटी की मदद

Update: 2017-06-18 10:11 GMT
मीरा और उसके पापा

लखनऊ। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए क्लब 'सेफर सिटीज़' की सदस्य मीरा कहती हैं कि दुनिया में हर कोई कीमती है और हर किसी की अपनी महत्ता है फिर चाहे वह पुरुष हो या महिला। 17 साल की मीरा अपने आठ लोगों के परिवार में सबसे छोटी हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर रहीं मीरा अपने समाज को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने के लिए प्रयास कर रही हैं और इसमें उनकी मदद कर रहे हैं उनके पापा।

अपने क्षेत्र में सेफर सिटीज़ कैम्पेन का चेहरा, मीरा पहले इसमें शामिल नहीं होना चाहती थीं। इसका कारण यह था कि घर से स्कूल जाते वक्त हर दिन उसे छेड़खानी का शिकार होना पड़ता था। मीरा और उसकी सहेलियां घर से बाहर तभी निकलती थीं जब परिवार का कोई सदस्य साथ में हों। मीरा में बदलाव तब आया जब उसने प्लानइंडिया की सार्वजनिक स्थानों को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाना और लैंगिक समानता पर एक सेमिनार में भाग लिया।

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इसके बाद मीरा पहल नाम की एक संस्था का हिस्सा बनीं और अपने समुदाय में लड़कियों की सुरक्षा के मुद्दे को हल करने के लिए सरकारी अधिकारियों से मिलना शुरू किया। इसी का नतीज़ा था कि मीरा अपने इलाके में सीसीटीवी कैमरे लगवाने में सफल हुईं। इसके साथ ही मीरा के प्रयासों से स्कूलों के बाहर सुरक्षा गार्ड की तैनाती भी हो गई।

मिला पापा का साथ

वेबसाइट बेटर इंडिया के मुताबि़क, मीरा अपने इस काम की सफलता का सारा श्रेय अपने पापा को देती हैं। मीरा के पापा भी ये कहते हैं कि उनकी बेटी से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला। वह बताते हैं कि उन्होंने अनौपचारिक परिवहन कर्मचारियों के लिए संवेदीकरण कार्यशाला में भाग लिया। इससे उन्होंने अपने साथी परिवहन कर्मचारियों का महिलाओं की सुरक्षा के प्रति नज़रिया बदलने में मदद की।

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अपनी दोस्तों के साथ मीरा

अब वे भी उनकी सुरक्षा का ख्याल रखते हैं। अब वह भी उनके रिक्शे से सफर करने वाली महिला यात्रियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखते हैं। वह सामुदायिक स्तर के बाल संरक्षण समिति में शामिल है। इसके साथ ही वो बाल अधिकारों के संबंध में लिंग समानता और माता-पिता की ज़िम्मेदारी पर चर्चा करते हैं। मीरा और उसके पापा के प्रयासों को देखते हुए अब उसकी मां भी इस कैम्पेन का हिस्सा बन गई हैं।


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