आठ महीने की बच्ची का शव लिए थाने पहुंची गैंगरेप पीड़िता लेकिन पुलिस राष्ट्रपति दौरे के लिए बिजी थी!

Update: 2017-06-07 11:55 GMT
29 मई की घटना

लखनऊ। प्रदेश हो या देश, महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकारें बड़े-बड़े दावे करती हैं। कानून व्यवस्था सुधारने की बात होती है लेकिन हालात अब भी जस के तस हैं। 2012 में हुए निर्भया कांड ने पूरे देश को झकझोर दिया था, पूरे तंत्र को हिला देने वाला आंदोलन हुआ लेकिन उसके बाद भी लोगों की मानसिकता नहीं बदली और न ही भारत में रेप केस अभी कम हुए हैं।

पिछले दिनों गुड़गांव के मानेसर में एक मां के साथ गैंगरेप हुआ और जब इस दौरान उसकी आठ महीने की बच्ची रोने लगी तो हैवानों ने उसे सड़क पर फेंक दिया। इसके बाद पुलिस प्रशासन का रवैया और ज्यादा हैरान और गुस्सा दिलाने वाला रहा।

महिला के एक संबंधी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि गैंगरैप पीड़िता अपनी बेटी का शव लिए जब मानेसर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंची तो पुलिस ने पीड़िता से कहा, ‘तुम अपनी बेटी के अंतिम संस्कार पर ध्यान दो और हमें दो जून को शहर में होने वाले राष्ट्रपति दौरे पर ध्यान लगाने दो।

पुलिस ने जारी आरोपियों का स्केच

इतना ही नहीं पुलिस ने पीड़िता से यह भी कहा कि उसे इन सब परेशानी (रेप केस फाइल करना) में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि वह पहले से ही अपनी बेटी को खो चुकी है।

पुलिस कमिश्नर संदीप खिरवार ने उस वक्त ड्यूटी पर तैनात सब इंस्पेक्टर सुमन सूरा को सस्पेंड कर दिया।

कमिश्नर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए बयान में कहा, हमने 30 मई को एफआईआर रजिस्टर की थी लेकिन वह सिर्फ मर्डर की थी। हमें जांच में पता चला है कि पीड़िता ने सब-इंस्पेक्टर को गैंगरेप की बात बताई थी लेकिन उन्होंने इसे एफआईआर में अपग्रेड नहीं किया। हमने उस सब इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर मामले की जांच और तीनों आरोपियों को पकड़ने के लिए एसआईटी टीम गठित की है।

क्या थी घटना?

बताया जा रहा है कि वारदात 29 मई की है जब गुड़गांव के आईएमटी इलाके यानी सेक्टर 8 में रात को महिला किसी बात पर मायके जाने के लिए निकली थी। रात का वक्त था उसके साथ में आठ महीने की बच्ची थी। वो सड़क पर ऑटो का इंतजार कर रही थी। तभी एक शेयरिंग ऑटो ने लिफ्ट देने के बहाने उसे बैठा लिया। ऑटो में तीन और लोग थे। महिला उसमें बैठ गई। कुछ दूर जाने पर ऑटो में सवार लड़कों ने उसके साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। इस दौरान पीड़िता की बच्ची रोने लगी, लेकिन लड़के बाज़ नहीं आए। उन्होंने आठ महीने की मासूम को चलते ऑटो से नीचे फेंक दिया। सिर में चोट लगने से बच्ची की मौत हो गई।

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