लखनऊ। भारत के किसान हमेशा से ही अपनी फसल को लेकर चिंतित रहते हैं क्योंकि कभी उनकी फसल बर्बाद हो जाती है तो कभी उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। खासकर गन्ना किसानों को फसल का उचित मूल्य न मिल पाने के कारण ज्यादा तकलीफ में रहते हैं।
महाराष्ट्र के एक किसान सुरेश कबाडे (48 वर्ष) इन्हीं सब तकलीफों से दूर रहते हैं क्योंकि वे अनोखी विधि से एक एकड़ में एक हजार कुंतल गन्ने की पैदावार करते हैं साथ ही उनके उगाए हुए गन्ने की लम्बाई 19 फीट होती है। नौवीं पास सुरेश कबाडे अपने अनुभव और तकनीकी के सहारे खेती से साल में करोड़ों रुपये की कमाई भी करते हैं।
मुंबई से करीब 400 किलोमीटर दूर सांगली जिले की तहसील वाल्वा में कारनबाड़ी के सुरेश कबाडे (48 वर्ष) अपने खेतों में ऐसा करिश्मा कर रहे हैं कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, यूपी तक के किसान उनका अनुसरण करते हैं। उनकी ईजाद तकनीकी का इस्तेमाल करने वालों में पाकिस्तान के भी कई किसान शामिल हैं। (देखिए वीडियो)
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निकाल देते हैं गन्ने में निकलने वाला पहला पौधा
सुरेश कबाडे बताते हैं, "गन्ने के टीलस (पहला पौधा) एक एकड़ में 40 हजार से अधिक होने चाहिए। गन्ने के टीलस उगने के बाद हम लोग एक अनोखा तरीका अपनाते हैं। गन्ना खेतों में बोने के बाद उसमें निकलने वाला पहला टीलस हम तोड़कर निकाल देते हैं।"
सुरेश कबाडे आगे बताते हैं, "मदर टीलस निकालने से उसके साइड के टीलस अच्छे हो जाते हैं साथ ही उनकी लम्बाई में काफी वृद्धि होती है। एक एकड़ में एक हजार कुंतल गन्ने की पैदावार का लक्ष्य होता है। हमारे गन्ने की लंबाई 18 से 19 फीट तक होती है। जैविक तरीके से उगाए गए हमारे एक गन्ने में 44 से 54 कांडी (आंख) होती हैं। जिनके बीच की दूरी कम से कम छह इंच और अधिक से अधिक नौ इंच तक होती है।
खुद गन्ने के बीज करते हैं तैयार
19 फीट का गन्ना उगाने वाले सुरेश कबाडे फोन पर बताते हैं, "गन्ने के बीज मैं खुद तैयार करता हूं। भारत में अभी भी ज्यादातर लोग तीन से चार फीट की दूरी पर गन्ना बोते हैं, मैं पांच से छह फीट की दूरी और आंख की आंख की दूरी दो से ढाई फीट रखता हूं। किसान खेतों में सीधे उर्वरक डालते हैं, मैं गन्ने के बीच कुदाली से जुताई कर जमीन में खाद डालता हूं।”
एक एकड़ में 1000 कुंतल गन्ने का करते हैं उत्पादन
करीब 30 एकड़ में आधुनिक तरीकों से खेती करने वाले सुरेश कबाडे पिछले कई वर्षों से लगातार एक एकड़ खेत में 1000 कुंटल से (100 टन) का उत्पादन लेते आ रहे हैं। सुरेश खास इसलिए हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश में सबसे बेहतर उत्पादन करने वाला किसान 500 कुंटल प्रति एकड़ की ही उपज़ ले पाता है। जबकि औसत उत्पादन 400 कुंटल ही है।
हजारों किमी दूर के किसान यहां से ले जाते हैं बीज
सुरेश के खेत का गन्ना, महाराष्ट्र के दूसरे इलाकों के किसानों के साथ कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और गुजरात तक के किसान बीज ले जाते हैं। सुरेश बताते हैं, “पिछली बार मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में रामदेव सुगर मिल क्षेत्र के एक किसान गन्ना लेने आए। उनका घर मेरे यहां से करीब 1050 किलोमीटर दूर था। मेरी कोशिश रहती है कि गन्ना मिल को देने के बजाए बीज में ज्यादा जाए वो ज्यादा मुनाफा देता और खेत में जल्दी खाली होते हैं।”
दूसरे प्रदेश के किसान कर रहे तारीफ
उत्तर प्रदेश की गन्ना बेल्ट लखीमपुर खीरी के रहने वाले प्रगतिशील किसान और जेट एयरवेज में सीनियर फ्लाइट मैनेजर रह चुके दिलजिंदर सहोता, सुरेश कबाडे को देश के किसानों का गुरु बताते हुए कहते हैं, “उनका काम बहुत सिस्टमेटिक है, वो खेती की नवीन तकनीकि का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें जमीन और बीज की समझ है। वो देश में प्रति एकड़ 1000 कुंटल उत्पादन लेने वाले पहले किसान हैं।” दलजिंदर आगे बताते हैं, “हम (यूपी वाले) उनका आधा उत्पादन नहीं कर पाते।” महाराष्ट्र में कम ठंड का पड़ना और खेतों में ज्यादा दिन (15-18 महीने) तक फसल तक का रहना भी उनकी मदद करते हैं।”
सिर्फ गन्ने से साल में 70 लाख तक करते हैं कमाई
महाराष्ट्र के सुरेश कबाडे गन्ने से सलाना 50-70 लाख की कमाई करते हैं, जबकि हल्दी और केले को मिलाकर वो साल में एक करोड़ से ज्यादा का काम करते हैं। पिछले वर्ष उन्होंने एक एकड़ गन्ना बीज के लिए 2 लाख 80 हजार में बेचा था। 2016 में एक एकड गन्ने का बीज वो 3 लाख 20 हजार में भी बेच चुके हैं।
अधिक उत्पादन के लिए अपनाया जैविक तरीका
सुरेश बताते हैं, “पहले मेरे खेत में भी प्रति एकड़ 300-400 कुंटल की पैदावार होती थी, फिर मैंने उसकी कमियां समझी और पैटर्न बदला। भरपूर जैविक और हरी खाद डालता हूं। रायजोबियम कल्चर एवं एजेक्टोबैक्टर और पीएसबी (पूरक जीवाणु) का इस्तेमाल करता हूं। गन्ना बोने से पहले उस खेत में चना बोता हूं। गन्ना खेत से पहले उसे ट्रे उगाता हूं। उसमें भी समय और मौसम का ध्यान रखता हूं।”