प्रमोशन में आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी, राज्‍यों को दिया अधि‍कार

सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया। पांच जजों की संविधान पीठ ने इस मामले को राज्यों के विवेक पर छोड़ दिया है। संविधान पीठ ने कहा, अगर राज्य सरकारें चाहे तो वे प्रमोशन में आरक्षण दे सकती हैं।

Update: 2018-09-26 06:24 GMT

नई दिल्ली। सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया। पांच जजों की संविधान पीठ ने इस मामले को राज्यों के विवेक पर छोड़ दिया है। संविधान पीठ ने कहा, अगर राज्य सरकारें चाहे तो वे प्रमोशन में आरक्षण दे सकती हैं। बता दें, 30 अगस्त को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था।

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कोर्ट ने 2006 में नागराज मामले में दिए गए अपने फैसले को सही ठहराते हुए इस मामले में फिर से विचार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने इस मामले को दोबारा 7 जजों की पीठ के पास भेजने से भी इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, एससी/एसटी के पिछड़ेपन और सार्वजनिक रोजगार में उस वर्ग के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता दिखाने वाला मात्रात्मक डेटा एकत्र करने की जरूरत नहीं है। बता दें, केंद्र और राज्य सरकारों ने सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण की वकालत की थी।

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बता दें, 2006 में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने नागराज बनाम भारत संघ मामले में सुनवाई की थी। उस वक्त कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ इस तरह की व्यवस्था को सही ठहराया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक सरकार एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण तभी दे सकती है जब डेटा के आधार पर तय हो कि उनका प्रतिनिधित्व कम है। प्रमोशन में आरक्षण लागू करने में सबसे बड़ी बाधा पिछड़ेपन का अध्ययन बन रहा था। अगर अध्ययन की जरूरत नहीं है तो सरकारें आसानी से यह कर सकती हैं। 

साभार: एजेंसी

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