बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। ''मेरा शौचालय के लिए नाम आया था। शौचालय बनाया जा रहा था, लेकिन प्रधान ने बना बनाया मसाला और ईंट उठवा लिया। अब हमें शौच के लिए बाहर ही जाना होता है।'' यह बात कहते हुए आरती देवी भावुक हो जाती हैं।
आरती देवी बाराबंकी के दीनपनाह गांव की रहने वाली हैं। इस गांव में भी स्वच्छ भारत अभियान के तहत लोगों के शौचालय बने हैं, हालांकि आरती देवी का मामला बताता है कि कैसे प्रधान मनमाने तरीके से शौचालय बांट रहे हैं।
आरती देवी के ससुर रामप्रसाद यादव सवाल करते हैं, ''सबका शौचालय बनेगा, सिर्फ मेरा ही नहीं बनेगा, ऐसा है क्या?'' आरती देवी बताती हैं, ''घर के पास के ही लोग प्रधान के खास हैं, हमारा झगड़ा हुआ था, ऐसे में प्रधान आए और मिस्त्री को रोक दिया काम करने से। तब से अब तक शौचालय नहीं बना है।''
इस मामले पर प्रधान पति राम करन यादव का कहना है कि यह चुनावी दुश्मनी का मामला है, हमने कोई मसाला या ईंट नहीं उठाया है। उनका परिवार आए हमसे पैसे लेकर जाए और शौचालय बनवा ले। हम कहां रोक सकते हैं।'' इस संबंध में जब बाराबंकी की सीडीओ मेघा रूपम से बात की गई तो उनका कहना था- ''आप लिखित में शिकायत करें। जांच करने के बाद कार्यवाही की जाएगी।''
फिलहाल यह मामला बताता है कि शौचालय के निर्माण में प्रधान के स्तर पर किस तरह से बंदरबाट हुई है। यह एकलौता मामला नहीं है, ऐसे ही कई मामले पहले भी सामने आते रहे हैं, जहां प्रधान अपने चहेतों को सरकारी योजनाओं के लाभ दिलाते हैं।
यह तो हुई शौचालय न बनने की बात। इसके अलावा दीनपनाह में ही कई ऐसे शौचालय बने हैं जिसे लोगों ने अपने खर्च पर बनावा लिया, लेकिन अबतक उनको सरकार की ओर से मिलने वाले 12 हजार रुपए नहीं मिले हैं। गांव के ही राजाराम का शौचालय बनकर तैयार है, लेकिन उन्हें इसके लिए मिलने वाले पैसे अबतक नहीं मिल सके हैं।
बता दें, प्रशासन की ओर से शौचालय बनाने के लिए पात्र व्यक्ति को 6-6 हजार की दो किस्त दी जाती है। यानि 12 हजार रुपए लाभार्थी को मिलते हैं, जिससे वो शौचालय का निर्माण कर सकें। हालांकि दीनपनाह गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें पैसे नहीं मिले, हां शौचालय ठेके पर तैयार किया जा रहा था।
14 सितंबर 2018 को 'स्वच्छ ही सेवा आंदोलन' की लॉन्चिंग के वक्त सीएम योगी आदित्यनाथ ने नमो एप के जरिए पीएम मोदी से संवाद में कहा था, ''हम मार्च 2017 में सत्ता में आए। हमने सफाई अभियान को एक आंदोलन की तरह लिया और केवल 17 महीने में हम 1.36 करोड़ शौचालय का निर्माण करने में सक्षम हुए हैं।'' साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि ''2 अक्टूबर 2019 तक छोटे परिवारों के बेस लाइन सर्वे के बाद कोई भी परिवार राज्य में बिना शौचालय के नहीं रहेगा।'' हालांकि सीएम योगी के इस दावे को उत्तर प्रदेश का एक जिला ही गलत साबित कर देता है। बाराबंकी के बजगहनी पंचायत में आधे अधूरे बने शौचालय इस बात को गलत साबित करते नजर आते हैं।