नीलेश मिसरा छत्तीसगढ़ के बस्तर में शुरू कर रहे हैं 'टेन थाउजेंड क्रिएटर्स प्रोजेक्ट'

'टेन थाउजेंड क्रिएटर्स प्रोजेक्ट' एक ऐसा बाजार स्थापित करने की एक पहल है जो ग्रामीण क्रिएटर्स को सीधे लोगों तक पहुंचाएगा। प्रोजेक्ट का शुभारंभ कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के बस्तर में हो रहा है और इसमें राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल शामिल हो रहे हैं। इस कार्यक्रम में स्लो प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और बस्तर जिला प्रशासन के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर भी होंगे।

Update: 2022-04-02 13:50 GMT

ग्रामीण और आदिवासी कलाकारों और शहरी लोगों के बीच एक संबंध स्थापित करने के लिए नीलेश मिसरा की स्लो प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में अपना 'टेन थाउजेंड क्रिएटर्स प्रोजेक्ट' शुरू कर रहा है।

इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल और बस्तर के जिलाधिकारी रजत बंसल शामिल हो रहे हैं और स्लो प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और बस्तर जिला प्रशासन के बीच एक एमओयू भी साइन करेंगे।

एमओयू के जरिए बस्तर के ग्रामीण कारीगरों को एक ऐसा मंच मिलेगा, जिसके जरिए ग्रामीणों की आय बढ़ाने के साथ ही उन्हें बाजार उपलब्ध कराने और उनकी कला को निखारने का भी काम किया जाएगा।

बस्तर में एमओयू कार्यक्रम से पहले अपने 'टेन थाउजेंड क्रिएटर्स प्रोजेक्ट' के बारे में बात करते हुए, स्लो प्रोडक्ट्स के संस्थापक नीलेश मिसरा ने गांव कनेक्शन को बताया कि यह कार्यक्रम ग्रामीण और आदिवासी रचनाकारों को एक साथ जोड़ने के बड़े प्रयास का पहला कदम है। बड़ी संख्या में लोग जो इन कलाकारों के बनाए गए इन इन उत्पादों को पसंद करते हैं।

"यह शहर में रह रहे लोगों और ग्रामीण रचनाकारों के बीच एक रिश्ता बनाने को लेकर है, हम चाहते हैं इस 'दया संबंध' या 'दान संबंध' से अलग हो जाएं। ये क्रिएटर कुछ ऐसा भी बनाते हैं जोकि अभी तक बाजार में उपलब्ध ही नहीं है, "मिसरा ने गांव कनेक्शन को बताया।

"इन कलाकारों के लिए सहानुभूति, विनम्रता और सम्मान उनके बनाए गए प्रोडक्ट्स को लेकर होगा। ऑडिएंस के बीच यह भावना पैदा करे, जिससे आपको लगे कि ये कलाकार बेहतर जिंदगी जीने के हकदार, तो दान पर्याप्त नहीं होगा और उनके उत्पादों को उन्हीं कीमतों पर खरीदना होगा जिससे इन रचनाकारों को सम्मान मिल सके, "नीलेश मिसरा ने आगे कहा।

उन्होंने बताया कि बस्तर का यह कार्यक्रम बस इसी कल्पना को साकार करने का पहला कदम है।

"धीरे-धीरे, हम देश भर के कलाकारों को शामिल करेंगे और उन्हें अपनी आजीविका में सुधार करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराएंगे। साथ ही गांव कनेक्शन इस प्रोजेक्ट से एक जरिया बन जाएगी, क्योंकि इस प्रोजेक्ट के जरिए ग्रामीण भारत की विरासत विरासत को स्लो कंटेंट के जरिए दिखाएंगे, इसके जरिए उन कलाकारों का प्रचार-प्रसार होगा।"

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