लॉन्च के लिए तैयार देश का सबसे बड़ा रॉकेट, इसरो को बनाने में लगे 30 साल, जानें इसकी खूबियां
बेंगलुरु। आज देश के सबसे बड़े रॉकेट को लॉन्च किया जाएगा, ये पहला ऐसा रॉकेट है जो पूरी तरह देश में ही बना है। इसमें देश में ही विकसित क्रायोजेनिक इंजन लगा है। ये रॉकेट एक बड़े सैटेलाइट सिस्टम को अंतरिक्ष में स्थापित करेगा। इस रॉकेट की कामयाबी से भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने में भारत का रास्ता साफ़ हो जाएगा। बता दें कि करीब 30 साल की रिसर्च के बाद इसरो ने यह इंजन बनाया था।
यह रॉकेट संचार उपग्रह जीसैट-19 को लेकर जाएगा। जीएसएलवी मार्क 3 रॉकेट को सोमवार शाम 5 बजकर 28 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरना है।
अब तक 2300 किलोग्राम से अधिक वजन के संचार उपग्रहों के लिए इसरो को विदेशी लॉन्चरों पर निर्भर रहना पड़ता था। जीएसएलवी मार्क-3 4000 किलोग्राम तक के पेलोड को उठाकर भूतुल्यकालिक अंतरण कक्षा (जीटीओ) और 10 हजार किलोग्राम तक के पेलोड को पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचाने में सक्षम है।
जीएसएलवी मार्क 3 से जुड़ी खास बातें
- 640 टन का वजन, भारत का ये सबसे वजनी रॉकेट है
- करीब 30 साल की रिसर्च के बाद इसरो ने यह इंजन बनाया था।
- नाम है जीएसएलवी मार्क 3 जो पूरी तरह भारत में बना है
- इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में 15 साल लगे। इस विशाल रॉकेट की ऊंचाई किसी 13 मंजिली इमारत के बराबर है और ये चार टन तक के उपग्रह लॉन्च कर सकता है।
- अपनी पहली उड़ान में ये रॉकेट 3136 किलोग्राम के सेटेलाइट को उसकी कक्षा में पहुंचाएगा
- इस रॉकेट में स्वदेशी तकनीक से तैयार हुआ नया क्रायोजेनिक इंजन लगा है, जिसमें लिक्विड ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
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