किसानों के विरोध के बीच लोकसभा में कृषि से जुड़े विधेयक पेश, कृषि मंत्री ने कहा- MSP के प्रावधानों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कृषि से जुड़ा तीन विधेयक लोकसभा में पेश किया। इन विधेयकों का किसान पहले से ही विरोध कर रहे हैं। लोकसभा में विपक्ष ने भी इस पर हंगामा किया।

Update: 2020-09-15 03:30 GMT
सोमवार 14 सितंबर को जब लोकसभा में कृषि अध्यादेशों पर सरकार विधेयक पेश कर रही थी उसी समय किसान विधेयक का विरोध भी कर रहे थे।

संसद के मानसून सत्र के पहले दिन कृषि से जुडे़ तीन विधेयक लोकसभा में पेश किये गये। विपक्ष ने किसान विरोधी बताकर इनका विरोध किया लेकिन कृषि मंत्री ने कहा कि ये विधेयक किसानों की स्थिति बदलेंगे और इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के प्रावधानों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। देशभर में किसान पहले से ही इन अध्यादेशों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार 14 सितंबर को कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020, कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 लोकसभा में पेश किया। सरकार ने पांच जून 2020 को ही अध्यादेश जारी किए थे, यह तीनों विधेयक को उन संबंधित अध्यादेशों की जगह लेंगे।

कृषि से जुडे़ इन तीन अध्यादेशों पर सरकार ने पेश किया विधेयक

कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश

इस अध्यादेश से किसान अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति यो संस्था को बेच सकते हैं। इसके जरिये सरकार एक देश, एक बाजार की बात कर रही है। किसान अपना उत्पाद खेत में या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकेंगे। इस बारे में केंद्रीय कृष मंत्री नरेंद्र तोमर ने लोकसभा में बताया कि इससे किसान अपनी उपज की कीमत तय कर सकेंगे। वह जहां चाहेंगे अपनी उपज को बेच सकेंगे। इस विधेयक में पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रावधान किया गया है। जिसकी मदद से किसान के अधिकारों में इजाफा होगा और बाजार में प्रतियोगिता बढ़ेगी। किसान को उसकी फसल की गुणवत्ता के अनुसार मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता मिलेगी।

आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन

पहले व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाज़ारी करते थे, उसको रोकने के लिए Essential Commodity Act 1955 बनाया गया था जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गयी थी। अब नये विधेयक आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को हटाने के लिए लाया गया है। इन वस्तुओं पर राष्ट्रीय आपदा या अकाल जैसी विशेष परिस्थितियों के अलावा स्टॉक की सीमा नहीं लगेगी।

इस पर सरकार का मानना है कि अब देश में कृषि उत्पादों को लक्ष्य से कहीं ज्यादा उत्पादित किया जा रहा है। किसानों को  कोल्ड स्टोरेज, गोदामों, खाद्य प्रसंस्करण और निवेश की कमी के कारण बेहतर मूल्य नहीं मिल पाता है।

मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश

यह कदम फसल की बुवाई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा प्रदान करता है। इससे किसान का जोखिम कम होगा। दूसरे, खरीदार ढूंढने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा।

विधेयकों का विरोध, कांग्रेस ने कहा- कृषि राज्य विषय

विधेयक को लेकर लोकसभा में काफी हंगामा हुआ। कांग्रेस नेता कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि कृषि राज्य का विषय है और केंद्र सरकार को उस पर कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं है। इस कानून से कृषि प्रधान राज्यों को राजस्व का नुकसान होगा।

वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि सरकार की मंशा इस कानून के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और खाद्य सुरक्षा की व्यवस्था को कमजोर करने की है। किसान इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं और इसलिए सरकार को यह विधेयक पेश नहीं करना चाहिए।

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केंद्रीय कृषि नरेंद्र तोमर ने विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस विधेयक के जरिए लंबे समय बाद कृषि और किसानों की स्थिति में बड़ा बदलाव आने वाला है। किसी भी वस्तु या सेवा के अंतरराज्यीय व्यापार के लिए कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को है।

राज्यों को राजस्व नुकसान के बारे में तोमर ने कहा कि अपनी मंडियों के लिए कानून बनाने का अधिकार राज्यों के पास सुरक्षित रहेगा। यह विधेयक मंडी की सीमा के बाहर के व्यापार पर असर डालेगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि इससे एमएसपी के प्रावधानों पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि अब तक किसान अपनी उपज नजदीकी मंडी में बेचने के लिए विवश था। अब उसे इससे आजादी मिल जायेगी।

किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी

इन अध्यादेशों को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। मंगलवार को हरिणाया, पंजाब और हैदराबाद में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया। कहीं-कहीं सड़क जाम किया गया तो कहीं सांकेतिक हड़ताल हुई।

हरियाणा के कुरुक्षेत्र, लघु सचिवालय के सामने विरोध करते किसान।

इससे पहले सोमवार को नई दिल्ली में भारतीय किसान यूनियन ने विरोध प्रदर्शन करके सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा। अपने ज्ञापन में संगठन ने कहा कि कृषि में कानून नियंत्रण, मुक्त विपणन, भंडारण, आयात-निर्यात, किसान हित में नहीं है। इसका खामियाजा देश के किसान विश्व व्यापार संगठन के रूप में भी भुगत रहे हैं।

नई दिल्ली भारतीय किसान यूनियन के साथ धरने पर बैठे किसान।

देश में 1943-44 में बंगाल के सूखे के समय ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अनाज भंडारण के कारण 40 लाख लोग भूख से मर गये थे। समर्थन मूल्य कानून बनाने जैसे कृषि सुधारों से किसान का बिचौलियों और कम्पनियों द्वारा किया जा रहा अति शोषण बन्द हो सकता है और इस कदम से किसानों के आय में वृद्धि होगी।

संगठन ने मांग की है कि सरकार तीनों कृषि अध्यादेशों वापस ले।

इस अध्यादेश के विरोध में 16 सितंबर बुधवार को देश की राजधानी नई दिल्ली में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे राष्ट्रीय महासंघ के कई नेताओं को हिरासत में भी ले लिया गया। 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कई जिलों में इस अध्यादेश के खिलाफ किसान एकजुट होंगे।

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