कानून बना तीन तलाक विधेयक, राष्ट्रपति ने भी दी मंजूरी

Update: 2019-08-01 06:06 GMT

लखनऊ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद में पारित तीन तलाक विधेयक को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने बाद अब यह एक नया कानून बन गया है। सरकार की तरफ से सरकारी अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी गई। इससे पहले मंगलवार को राज्यसभा से यह बिल विधेयक पास हुआ था। राज्यसभा में इस विधेयक के पक्ष में पक्ष में 99 और विपक्ष में 84 वोट पड़े थे, जिसके बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति भेजा गया था।

इस मुद्दे पर सरकार के सहयोगी दल जेडीयू ने बिल के विरोध में वॉकआउट किया था। वहीं इस मुद्दे पर कई सांसदों ने संशोधन पेश किए लेकिन अधिकतर संशोधन पास नहीं हो पाए। विपक्ष ने इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी में भेजने की बात की, लेकिन बिल के पक्ष में ज्यादा वोट पड़ने की वजह से विपक्ष का यह प्रस्ताव भी पास नहीं हो सका। इस बिल में पत्नी को तीन तलाक के जरिए छोड़ने वाले मुस्लिम पुरुष को तीन साल तक की सजा के प्रावधान किया गया है।

तीन तलाक बिल का क्या है प्रावधान

1-इस बिल के तहत पुलिस आरोपी को सीधे गिरफ्तार कर सकती है , यह तभी हो सकेगा जब महिला खुद शिकायत करेगी। इसके अलावा महिला के परिजन भी केस दर्ज करा सकते हैं।

2-इस बिल के अनुसार पति पत्नी एक दूसरे से समझौता भी कर सकते हैं लेकिन इसके पहल का अधिकार केवल पत्नी के पास होगा।

3-इस दौरान पति को जमानत मिल सकती है लेकिन ऐसा पत्नी का पक्ष सुनने के बाद ही होगा।

4- तीन तलाक पर कानून में छोटे बच्चों की कस्टडी मां को दी जाएगी। पत्नी और बच्चे के भरण-पोषण का भत्ता अदालत तय करेगी।

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मामले को राजनीतिक चश्मे से न देखे-  रविशंकर प्रसाद 

इससे पहले  कानून मंत्री कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 बिल को पेश करते हुए मंगलवार को कहा था कि यह बिल मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के मकसद से लाया गया है। इसलिए इसे किसी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। इससे महिलाओं को न्याय दिलाने और उनकी गरिमा तथा अधिकार सुनिश्चित करने के लिए पेश किया गया। इससे लैंगिक गरिमा एवं समानता भी सुनिश्चित होगी। 

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