सब्जी मंडी खुल गई, लेकिन खरीददार नहीं, खेत के बाहर पड़ा है सैकड़ों कुंतल कद्दू

Update: 2020-07-01 11:31 GMT

हापुड़ (उत्तर प्रदेश)। ओलावृष्टि से आलू की फसल बर्बाद होने के बाद किसानों को उम्मीद थी कि कद्दू (सीताफल) से अच्छी कमाई हो जाएगी, लेकिन लॉकडाउन से पहले बाजार ही नहीं पहुंच पाए और जब मंडी खुलने लगी, तो खरीददार ही नहीं आ रहे।

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के कई गाँव में इस समय खेत के बाहर सड़क किनारे कद्दू का ढेर लगा हुआ है, किसानों को उम्मीद है कि शायद खरीददार मिल जाएं। हापुड़ जनपद में आलू व सीताफल की खेती यहां के किसान सबसे ज्यादा करते हैं, इतना ही नहीं यहां का माल अन्य राज्यों से होकर विदेशों तक जाता है, जब किसानों बताया कि आलू की फसल को ओलावृष्टि ने बर्बाद कर दिया कुछ नहीं बचा। उसके बाद सीताफल की खेती की थी, अब लॉकडाउन लग चुका था किसानों की यह फसल भी बर्बाद हो गई, उम्मीद थी कि इस फसल में कुछ उन्हें कुछ मिल जाएगा, लेकिन इस बार तो घाटे का सौदा साबित हुआ, किसान पूरी तरह बर्बाद हो चुका है।

किसान ने बताया कि दूसरी फसल की खेती करने के भी रुपए नहीं रहे घर चलाए या उधार लेकर खेती करें, किसानों के पास अब कुछ नहीं बचा।

दिल्ली, फरीदाबाद सब्जी मंडी लेकर जाते हैं कुछ नहीं बिकता क्योंकि ग्राहक ही नही हैं

किसान फिरोज अली बताते हैं, "हम लॉकडाउन खुलने के बाद दिल्ली, फरीदाबाद सब्जी मंडी माल की गाड़ी लेकर गए थे, पिछले दो दिन तक वहां रुके कि हमारा माल बिक जाए, लेकिन जब मंडी में ग्राहक या खरीदार नहीं है तो कहां से बिकेगा, माल को वापस गाँव में ले आए खाली पड़ी जमीन पर रख दिया। अब तो रामभरोसे हैं बिक जाए तो कुछ हमें मिल जाएगा वरना यही बेकार हो जाएगा।


दर्जनों गाँव मे 200 हेक्टेयर से ज्यादा सीताफल की खेती

फिरोज अली ने आगे बताया कि हमारे यहां आलू व सीताफल की सबसे ज्यादा खेती होती है, लेकिन मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं आस-पास के दर्जनों गांव में 200 हेक्टेयर से ज्यादा किसानों की सीताफल की खेती है सब किसान बर्बाद है अभी भी आस लगाए बैठे है कि कुछ मिल जाए लेकिन अब उम्मीद टूटती नज़र आ रही है।

दो फसल तो बर्बाद हो गई इस बार कर्ज लेकर धान लगा रहे हैं

मोहम्मद इलियास ने कहते हैं, "पहले आलू की फसल ओलावृष्टि ने बर्बाद कर दी थी, उसमें हमें कुछ नहीं मिला उसके बाद हमने सीताफल की फसल लगाई वह बर्बाद हो गई। अब कर्ज लेकर धान की खेती कर रहे हैं। किसान तो बर्बाद हो ही चुका है इसमें कोई शक नहीं अब देखो आगे क्या होता है।"

होटलों व शादी और भंडारें में रहती है कद्दू की मांग

कद्दू की मांग सबसे ज्यादा होटल, शादी-विवाह जैसे कार्यक्रमों में रहती है, लेकिन इस बार सब ठप पड़ा है। शादियां हो भी रहीं है तो बहुत कम लोग जा रहे हैं। मो. इलियास आगे बताते हैं, " होटल में शादी भंडारे में सीताफल लोग खाते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते सब त्यौहार व शादी होटल बंद है तो माल कहां जाएगा। सब बेकार हो रहा है किसान अमीर लोग नहीं है किसान गरीब हैं, उनकी समस्या है, उनका भी परिवार है।"

सड़क किनारे कई टन कद्दू बर्बाद हो रहा है, किसान फेंक के चले गए

मोहम्मद सद्दाम बताते हैं कि किसान गुस्से में आकर सड़कों के किनारे सीताफल को इसलिए फेंक कर चला गया। क्योंकि घर में इतनी जगह नहीं है कि उसे संभाल कर रखें। आखिर इतना माल कहां घर में रखेगा किसान इसलिए कई किसानों ने तो सड़कों के किनारे माल फेंक दिया अगर कोई आएगा तो लेकर चला जाएगा माल तो बर्बाद है ही अब करना भी क्या है।

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