उत्तराखंड में सास को बचाने के लिये 15 मिनट तक तेंदुए से जूझती रही बहू

Update: 2018-12-31 05:15 GMT

उत्तराखंड की चौखुटिया और द्वाराहाट तहसील के कई इलाकों में इन दिनों तेंदुए का आतंक पसरा है। पिछले तीन हफ्तों में तेंदुए ने की ग्रामीणों पर हमला किया और दो लोगों को जान से मार डाला है। आतंक इतना अधिक है कि यहां लोग अंधेरा होने के बाद घरों से नहीं निकल रहे।

पिछली 23 दिसंबर को तेंदुए ने चौखुटिया के पास बमनगांव में 72 साल की गोविन्दी जोशी को शाम करीब 6 बजे उठा लिया। गोविन्दी की बहू गीता ने दिलेरी से बाघ का सामना किया और वह करीब 15 मिनट तक अपनी सास को बचाने के लिये संघर्ष करती रही।

तेंदुए हमले में मारी गयी गोविन्दी

गांव कनेक्शन की टीम ने तेंदुए के आतंक से प्रभावित इलाकों का दौरा किया और बमनगांव पहुंच कर गीता जोशी और परिवार के अन्य सदस्यों से बात की।

"पिछली रविवार शाम को मेरी सास घर के आंगन में रखे तुलसी के पौंधे पर दिया जला रही थी और तभी तेंदुए ने उन पर हमला किया और वह उन्हें खींच कर ले जाने लगा। मैंने भाग कर अपनी सास के पैर मज़बूती से पकड़ लिये। तब तेंदुए ने मेरी सास की गर्दन पर हमला किया और खींचने लगा। मैंने उनके पैर नहीं छोड़े।"

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गीता का कहना है कि इस दौरान वह शोर मचाती रही और तेंदुए के साथ संघर्ष के कई दौर चले। तेंदुए ने गीता पर भी हमले की मुद्रा बनाई लेकिन जब गीता ने लकड़ियों से हमला किया और हमले की मुद्रा में हाथ खड़े किये तो तेंदुआ पीछे हटा।

"तभी मेरे पति ने मेरी आवाज़ सुनी और वह जलती लकड़ी लेकर आये जिससे डरकर आखिरकार वह जानवर भागा लेकिन तब तक तेंदुए के हमले से घायल मेरी सास ने दम तोड़ दिया।" गीता ने गांव कनेक्शन को बताया।

गोविन्दी जोशी का परिवार और पड़ोसी, गांव में आतंक इतना कि लोग अंधेरा होने के बाद घर से बाहर नहीं निकल रहे

बमनगांव सड़क से 3 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर बसा है और यहां जाने का रास्ता काफी दुर्गम है। तेंदुए के आतंक से जहां लोग डरे हुए हैं वहीं उनमें गुस्सा भी है। गांव वालों को लगता है कि यहां अगर गांव को कस्बे से जोड़ने वाली सामान्य सड़क भी होती तो गोविन्दी को बचाया जा सकता था।

"हमने पिछले न जाने कितने सालों से सड़क की मांग की है। लेकिन सरकार हमारी नहीं सुनती। आज राज्य में कई जगह टू-लेन और फोर-लेन हाइवे बन रहे हैं लेकिन हम लोगों के लिये ज़रूरी सामान्य सड़क भी नहीं है। अगर कल तेंदुए ने फिर हमला किया तो हम किसी घायल को अस्पताल कैसे ले जायेंगे।" गीता जोशी के पड़ोसी विनोद ने हमसे कहा। 

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