नई दिल्ली (भाषा)। दलहन की कीमतों की तेजी को लेकर केंद्र सरकार पर हो रहे हमलों के बीच खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने आज कहा कि आवश्यक जिंसों की कीमतों को नियंत्रित रखने की बराबर की जिम्मेदारी राज्यों की भी है।
दो निरंतर सूखा पड़े वर्षो के बाद सरकार द्वारा किये गये तमाम उपायों के बावजूद मांग और आपूर्ति के बीच भारी अंतर के कारण देश के अधिकांश भागों में दलहनों की कीमत 170 रुपए प्रति किलो के उच्च स्तर पर बनी हुई है।
राष्ट्रीय राजधानी में आज सहकारिता संस्था एनसीसीएफ के मोबाइल वैन के जरिये 120 रुपए प्रति किलो की दर से तुअर और उड़द दाल की बिक्री की शुरआत करने वाले पासवान ने कहा, ''अगर इस पहल के बावजूद कीमतें बढ़ती हैं तो केंद्र जिम्मेदार नहीं है। एक संघीय ढांचे में कीमतों को नियंत्रित करने के लिए राज्य की बराबर की जिम्मेदार है।'' उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक के पारित होने और राष्ट्रीय साझा कृषि बाजार के सृजन से मूल्यवृद्धि के मुद्दे को काफी हद तक दूर किया जा सकेगा।
मदर डेयरी के सफल बिक्री केंद्र और केंद्रीय भंडार के बाद भारतीय राष्ट्रीय सहकारिता उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) तीसरी संस्था है जो राष्ट्रीय राजधानी में अरहर और उड़द दाल की बिक्री सब्सिडीप्राप्त दर पर करेगी। पासवान ने कहा कि केंद्र सरकार बढ़ती कीमतों के मुद्दे को लेकर गंभीर है। उन्होंने कहा, ''हमने बफर स्टॉक बनाया है और राज्यों के खुदरा वितरण करने के लिए उनकी मांग के बारे में बताने के लिये उनसे कहा है। हालांकि कई राज्यों ने कोई रुचि नहीं दिखाई है।''
उपभोक्ताओं को राहत देने के लिहाज से केंद्र सरकार बफर स्टॉक से राज्य सरकारों को तुअर और उड़द के दाल 66 रुपए प्रति किलो के हिसाब से दे रही है जिसका खुदरा वितरण राज्य सरकारें 120 रुपए प्रति किलो से अधिक दाम पर नहीं कर सकती हैं।