बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता उन्हें मताधिकार देती है: जेयूएच  

Update: 2017-05-01 22:57 GMT
उच्चतम न्यायालय।

नई दिल्ली (भाषा)। जमीयत उलेमा ए हिन्द (जेयूएच) ने आज उच्चतम न्यायालय से कहा कि असम में बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता देने के सरकार के फैसले ने उनके लिए मताधिकार सहित राजनीतिक अधिकार भी पैदा कर दिये हैं। मुस्लिम संगठन ने शीर्ष अदालत से कहा कि भारतीय नागरिकता कानून की धारा 6ए असम समझौते पर हस्ताक्षर करके केंद्र द्वारा किये गये नीतिगत फैसले को ध्यान में रखकर अमल में लाई गई है। यह समझौता असम और आंदोलनकारियों सहित सभी पक्षों के सलाह मशविरा और सहमति के बाद हुआ है।

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संगठन ने कहा कि प्रावधान की मंशा असम में विदेशियों के मुद्दे पर ‘‘अंतिम निर्णय'' करने और राज्य में शांति एवं अमनचैन बहाल करने का है, जिसके नतीजन लाखों लोगों को नागरिकता दी गई। संगठन ने न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ को 36 पेज के लिखित बयान में कहा कि अगर यह अदालत धारा 6ए की चुनौती को बरकरार रखती है, तो राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को अपडेट करने का अभियान व्यर्थ हो जाएगा। ये दलीलें शीर्ष अदालत द्वारा तय मुद्दों के जवाब में दी गईं। अदालत नागरिकता कानून के एक प्रावधान के विभिन्न पहुलओं की संवैधानिक वैधता की जांच कर रही है, जिसमें असम में बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता देने की समयसीमा तिथि शामिल है।

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