जब मैं गांव जाता हूं तो ओस की बूंदों को घंटों देखता हूं, मुंबई में यह सब नहीं दिखता : पंकज त्रिपाठी

पंकज त्रिपाठी का ये वीडियो इंटरव्यू स्लो है, लेकिन ये आपको अपने अतीत में ले जाएगा, आपके संघर्षों की कहानी खुद ब खुद इससे जुड़ती चली जाएगी।

Update: 2018-11-24 06:04 GMT

लखनऊ। "जब मैं गांव जाता हूं तो गिरते हुए ओस की बूंदों को दो घंटे देखता हूं। मुंबई में मुझे ये सब नहीं दिखता। मुझे चीड़ियों को देखना अच्छा लगता है। हम तो कलाकार हैं, पूरी मानव प्रजाति की बात करते हैं।" पंकज त्रिपाठी अपने गांव कनेक्शन के बारे में बताते हैं।

पंकज अपनी बात जारी रखते हुए आगे बताते हैं "मेरा मानना है कि बतौर कलाकार हमें अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से भागना नहीं चाहिए। देशभक्ति यही है कि लोग अपनी जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभाएं।
 

मैं अच्छा पिता हूं। मेरी एक 12 साल की बेटी है। मेरे पिताजी को साइकिल चलानी नहीं आती, मेरी बहनों के लिए वे साइकिल से वर ढूंढा करते थे, कई-कई दिन।"

ये भी पढ़ें-चिड़िया चाहे जितना भी उड़ ले, उसे लौटना तो अपने घोसले में ही है: पंकज त्रिपाठी

पंकज त्रिपाठी के बारे में वो सब कुछ जानिए जो आप जानना चाहते हैं। गांव से निकलकर स्टार बनने तक का उनका सफर कैसा रहा, कैसे उन्हें फिल्मों में इंट्री मिली, वे किस तरह की फिल्में करना चाहते हैं, क्या वे एक अच्छा बन पाए ? पिछले दिनों पंकज त्रिपाठी जब लखनऊ आए तो उनके और देश के सबसे चहेते स्टोरीटेलर नीलेश मिसरा के बीच गांव कुनौरा में बतकही का एक रोचक दौर चला। आप अभी इसे अब तक एपिसोड में देखते आए थे, लेकिन अब आपके लिए पूरे इंटरव्यू का पहला पार्ट आ गया है। वीडियो स्लो है, लेकिन ये आपको अपने अतीत में ले जाएगा, आपके संघर्षों की कहानी भी खुद ब खुद इससे जुड़ जाएगी। एक बार देखिए तो सही।

वीडियो को किश्तों में देखने के लिए यहां जाएं

Full View

Similar News