बजट: खेती में तकनीक से तरक्की की राह, किसान ड्रोन को मिलेगा बढ़ावा, इन कामों में हो सकेगा इस्तेमाल

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा इस बजट से किसान को बढ़ावा मिलेगा। खेती में तकनीकी का इस्तेमाल बढ़ाया। जिसमें ड्रोन एक बड़ा फैक्टर होगा।

Update: 2022-02-01 06:55 GMT

लखनऊ। आम बजट की खूबियां गिनाते हुए वित्त मंत्री ने खेती में तकनीकी के इस्तेमाल पर जोर दिया। वित्त मंत्री ने कहा कि खेती-किसानी में ड्रोन का इस्तेमाल होगा। जिससे फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेख, कीटनाशकों का छिड़काव में मदद मिलेगी।

फसल में कहां रोग लगा है, कहां कीट लगे हैं। फसल में किस पोषक तत्व की कमी है। ऐसे कई खेती के कामों को ड्रोन के जरिए आसानी से हो सकेंगे। समय पर बीमारियों का पता चलने से किसानों की इनपुट लागत कम होगी और उत्पादन बढ़ सकेगा। इसके अलावा ड्रोन का इस्तेमाल कीटनाशकों और पोषकतत्वों को छिड़काव भी किसानों की काफी मदद करेगा।

ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने को पहल का स्वागत करते हुए एग्री स्टार्टअप भारत रोहण के संस्थापक और सीईओ अमनदीप पवार ने गांव कनेक्शन से कहा, "ये बहुत जरुरी कदम है। खेती को तकनीकी की जरुरत है। हम लोग 2016 से ही ड्रोन के इस्तेमाल की मांग कर रहे थे। खेती पर्याप्त संसाधनों से किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकेगी। हम लोगों ने ये करके दिखाया है।'

भारत रोहण यूपी और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में अपनी कंपनी के जरिए किसानों को एग्री सेवाएं दे रहा है, जिसमें ड्रोन से फसल की मॉनिटरिंग और सर्विंसेज शामिल हैं।

अमनदीप कहते हैं, " ड्रोन का सबसे बड़ा फायदा क्रॉप मॉनिटरिंग (फसल सर्वेक्षण और सुरक्षा) में होगा। किसानों को समय रहते पता चल जाता है कि फसल में कौन सा कीट लगने वाला है। फसल में क्या रोग लग सकते हैं और या फिर फसल में किन पोषक तत्वों की कमी है ये आसानी से परखा जा जा सकता है। इससें समय रहने जरुरी कदम उठाए जाएंगे तो फसल का नुकसान कम होगा, इनपुट की लागत घटेगी, उत्पादन बेहतर होगा। ड्रोन से कीटनाशकों का छिड़काव से मजदूरी बचेगी।"

कृषि मंत्रालय ने दिसंबर 2021 में खेती में ड्रोन के इस्तेमाल के लिए मंजूरी देते हुए मानक संचालन प्रक्रिया यानि नियम कायदे तय किए थे। मंत्रालय ने कहा था कि ड्रोन के इस्तेमाल से खेती के कई कामों में किसानों को बड़ा फायदा मिलेगा। जिसमें कीटनाशकों का छिड़काव, फसल का रखरखाव में मदद मिलेगी।

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कैसे काम करते हैं ड्रोन-

मान लीजिए किसी किसान का 10 एकड़ का खेत है तो वो हर कोने पर नजर नहीं रख सकता है। लेकिन ड्रोन के जरिए पूरे खेत का कुछ ही मिनटों में सर्वे किया जा सकता है। और फिर जिस क्षेत्र में फसल प्रभावित है सिर्फ उस भाग में पेस्टीसाइड या पोषक तत्वों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

अमनदीप कहते हैं, "अमूमन हर साल हर फसल में किसान का 20-30 फीसदी रोग-कीट से नुकसान होता है। लेकिन क्योंकि किसान को पता तब चलता है जब रोग लग चुका होता है। लेकिन ड्रोन से एक हद तक समय से पहले पता लगाया जा सकता है, क्योंकि जहां रोग लगने वाला है वहां कुछ पौधे में कुछ रासायनिक बदलाव होते हैं जो ड्रोन के जरिए पता लगाए जा सकते हैं। अब जब पता चल गया कि यहां रोग आने वाले है उसका उपायकर कीटनाशक का खर्च और नुकसान न होने से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।"

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वित्त मंत्री का पूरा भाषण यहां देखें- 

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ड्रोन के लिए गाइडलाइंस तय करते हुए कृषि मंत्रालय ने कहा था कि कई राज्यों में टिड्डियों के हमलों को रोकने के लिए पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। सरकार कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों को शामिल करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, जिससे कृषि क्षेत्र की उत्पादकता के साथ-साथ दक्षता बढ़ाने के संदर्भ में स्थायी समाधान किया जा सके।

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