घटता-बढ़ता तापमान घटा सकता है गेहूं की पैदावार

Update: 2018-01-01 11:02 GMT
तापमान में उतार-चढ़ाव से गेहूं के उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है।

लखनऊ। दिन में धूप और धुंध वहीं शाम होते ही गिरता पारा और बढ़ती सर्दी। मौसम का यह मिजाज आम लोगों की सेहत के साथ ही खेतों में खड़ी गेहूं की फसल के लिए चिंताजनक है। पिछले एक सप्ताह से मौसम की इस आंख मिचौली ने किसानों के चेहरे पर भी चिंता की लकीरें ला दी हैं। तापमान में उतार-चढ़ाव से गेहूं के उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है।

तापमान में स्थिरता नहीं होने से गेहूं की फसल पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। यही कारण है कि किसान गेहूं की खेती से अब किनारा भी कर रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल गेहूं की बुवाई भी कम हुई है।

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इस समय न्यूतनत तापमान 7 से 8 और अधिकतर तापमान 19 से 20 सेल्सियस चल रहा है। यह समय गेहूं के पौधे को बढ़ने का समय है। ऐसे में तापमान में उतार-चढ़ाव से गेहूं पर असर पड़ेगा। गेहूं का पौधा पीला हो सकता है।
डा. एके सिंह, प्रोफेसर, नरेन्द्र देव कृषि और प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद

खेत में सिंचाई करके बचा सकते हैं गेहूं की फसल

तापमान में उतार-चढ़ाव से गेहूं की फसलें प्रभावित होती हैं। ऐेसे में इनको बचाने के लिए नरेन्द्र देव कृषि और प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद के एग्रीकल्चर मेट्रोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. एके सिंह ने बताया '' गेहूं की फसल में तापमान को स्थिर रखने के लिए किसानों को चाहिए कि वह खेत में हल्की सिंचाई करें।

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एक अध्ययन में पाया गया है कि वायुमंडल में गैसों का उत्सर्जन बढ़ जाने से अवशोषित सूर्य की किरणें पूरी तरह वायुमंडल में परावर्तित नहीं होने वायुमंडल का तापमान बढ़ रहा है।
डॉ. राजेन्द्र सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा

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सिंचाई करने से तापमान 0.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। ''उन्होंने बताया कि खेत में धुंआ करके भी फसल को बचाया जा सकता है। रात में 12 से 2 बजे तक खेत के मेड़ों पर कूड़ा-कचरा जलाकर हवा की दिशा में धुंआ करना चाहिए।

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