किसान मेंथा के साथ सूरजमुखी की मिश्रित खेती से बढ़ा सकते हैं आमदनी

Update: 2017-06-04 12:20 GMT
किसान सूरजमुखी की खेती पर काफी जोर दे रहे हैं और उन्हें अच्छा फायदा भी हो रहा है।

स्वयं कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

बाराबंकी। किसान अब परंपरागत खेती के अलावा फूलों और औषधीय फसलों की खेती करने लगे हैं। मुनाफा देखकर बारांबकी के किसान आजकल सूरजमुखी, शतावर, आर्टीमीशिया, अमेरिकन गुलाब और गेंदा की खेती की ओर रुख कर रहे हैं।

बाराबंकी मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर देवा ब्लाक के ढिंढोरा गाँव के निवासी लल्लन (35 वर्ष) मेंथा और सूरजमुखी की मिश्रित खेती कर रहे हैं। लल्लन का कहना है कि वह इन चार महीने की फसल में सूरजमुखी और मेंथा दोनों का फायदा उठाते हैं।

लल्लन का कहना है कि मेंथा की रोपाई मार्च में हो जाती है उसी की मेड़ों पर हम सूरजमुखी के बीज की रोपाई कर देते हैं सूरजमुखी के बीच की दूरी 2 फुट की होती है सूरजमुखी का पेड़ लगभग एक मीटर ऊंचा होता है जिसकी फसल लगभग 4 महीने में तैयार होती है, इसके बीज बाजार में 3000 से 3200 रुपए प्रति क्विंटल बिकता है, जिसके चलते हमें काफी हद तक फायदा होता है।

मेथा के बीच-बीच में लगी सूरजमुखी।

मिश्रित खेती पर क्या कहते हैं जिला उद्यान अधिकारी

जिला उद्यान अधिकारी जयकरन सिंह का कहना है कि वह किसानों की आय की बढ़ोत्तरी लिए लगातार प्रयासरत हैं। औषधि खेती के लिए किसानों से आवेदन करते रहते हैं किसानों को समय समय पर गोष्ठियों के द्वारा फूलों की खेती औषधियों की खेती के बारे में बताते रहते हैं। बाराबंकी के किसान आजकल सूरजमुखी की खेती पर काफी जोर दे रहे हैं और उन्हें अच्छा फायदा भी हो रहा है।

किसान लल्लन का फार्म हाउस।

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