बच्चों को सेहतमंद और किसानों को दौलतमंद बनाएगी कीनिया की शकरकंद

Update: 2017-06-02 19:22 GMT
कीनिया में पाई जाने वाली सुनहरी शकरकंद जिसमें विटामिन ए प्रचुर मात्रा पाई जाती है.

लखनऊ। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 46.3 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। कुपोषित बच्चों की स्थिति के मामले में पूरे देश में उत्तर प्रदेश का दूसर स्थान है। प्रदेश में कुपोषण की इस समस्या से निजात पाने के लिए प्रदेश सरकार कीनिया के शकरकंद का सहारा लेने जा रही है। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।

कीनिया एक प्रतिनिधिमंडल दल आया हुआ है। जिससे वहां पर पैदा होने वाली शकरकंद की खेती को लेकर चर्चा हुई है। प्रदेश में कीनिया के शकरकंद से कुपोषण को दूर किया जाएगा। ‘’
सूर्य प्रताप शाही, कृषि मंत्री, उत्तर प्रदेश 

कीनिया के शकरकंद की खेती उत्तर प्रदेश में भी हो इसके लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग एक योजना पर काम करने जा रहा है। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया, '' कीनिया एक प्रतिनिधिमंडल दल आया हुआ है। जिससे वहां पर पैदा होने वाली शकरकंद की खेती को लेकर चर्चा हुई है। प्रदेश में कीनिया के शकरकंद से कुपोषण को दूर किया जाएगा। ''

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उत्तर प्रदेश में अभी सफेद और लाल रंग के शकरकंद की खेती होती है, लेकिन इसमें पौष्टिक तत्व कम पाए जाते हैं। कीनिया में पाई जाने वाली सुनहरी शकरकंद जिसमें विटामिन ए प्रचुर मात्रा पाई जाती है, जिसके इस्तेमाल से बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर किया जा सकता है। प्रदेश में शकरकंद को चीनी और दवाओं को बनने में भी इस्तेमाल किया जाएगा। अभी प्रदेश में जो शकरकंद पैदा होता है उसके बहुत ही कम मात्रा में दवाइयां बनती हैं। प्रदेश में विभिन्न नदियों के किनारे वाले बलुई क्षेत्रों में सुनहरी शकरकंद की खेती की संभावना भी बहुत ज्यादा है।

कुपोषित बच्चों की स्थिति के मामले में पूरे देश में उत्तर प्रदेश का दूसर स्थान है। फोटो- इन्टरनेट

कीनिया के शकरकंद से चीनी, विटामिन ए सहित कई अन्य महत्वपूर्ण उत्पाद बनाने की तैयारी की जा रही है। जिसके लिए कीनिया की टीम प्रदेश में आई हुई है इसी संबंध में गोरखपुर के सर्किट हॉउस में मण्डल के कृषि अधिकारियों के साथ कीनिया के दल की बैठक भी पिछले दिनों हुई है।

कीनिया के शकरकंद की खेती उत्तर प्रदेश में करने के लिए टाटा ट्रस्ट भी सहयोग कर रहा है। इंडियान डायेटिक एसोसिएशन की सीनियर डायटीशियन डॉक्टर विजयश्री प्रसाद ने बताया, '' शकरकंद में स्टार्च की भरपूर मात्रा होती है, इसलिए इसको खाने से शरीर में ऊर्जा बढ जाती है, इसे भूख मिटाने के लिए सब से उपयोगी माना जाता है।'' शकरकंद की खेती वैसे तो पूरे भारत में की जाती है, लेकिन ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में इस की खेती सब से अधिक होती है। शकरकंद की खेती में भारत दुनिया में छठे स्थान पर है। भूखमरी के शिकार अफ्रीकी देशों के साथ ही बहुत सारे विकासशील देशों नें भी कुपोषण दूर करने के लिए शकरकंद की खेती को अपने देश में बढ़ावा दिया है।

उत्तर प्रदेश में 39.5 प्रतिशत बच्चे कम वजन हैं जबकि देशभर में 35.7 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं। फोटो- इन्टरनेट

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के चौथे और अंतिम चरण की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में पांच साल तक के 46.3 फीसदी बच्चे ठिगनेपन का शिकार हैं यानि इन बच्चों की लंबाई उनकी उम्र के अनुसार बढ़ नहीं रही है। कुपोषण का एक दूसरा प्रकार उम्र के हिसाब से वजन नहीं बढ़ना भी है।

शकरकंद की खेती से मुनाफा कमा रहे बाराबंकी के किसान

उत्तर प्रदेश में 39.5 प्रतिशत बच्चे कम वजन हैं जबकि देशभर में 35.7 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं। बच्चों के कुपोषण का यह कारण सीधे-सीधे उनके खानपान से जुड़ा है। आंगनबाड़ी और स्कूलों में बच्चों को जो अभी पोषण दिया जा रहा है वह यहां के बच्चों के कुपोषण को दूर नहीं कर पा रहा है। ऐसे में अब शकरकंद की खेती और उसके उत्पाद से सरकार कुपोषण को दूर करने के लिए काम करने जा रही है।

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