कुफरी गंगा- कम समय में अधिक आलू उत्पादन

Update: 2017-11-28 18:10 GMT
केन्द्रीय आलू शोध संस्थान ने की कुफरी गंगा प्रजाति की खोज

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। सीपीआरआई वेस्ट यूपी को आलू का मुख्य केन्द्र बनाना चाहता है। इसलिए पहले कुफरी लीमा और अब कुफरी गंगा आलू की नई प्रजाति की खोज की है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि वेस्ट में किसान आलू की डरते-डरते बुवाई करता है। इसलिए केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए नई-नई खोज करता रहता है। कुफरी गंगा प्रजाति निश्चित रूप से किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगी। अब तक की सभी प्रजातियों में इसे शोध के माध्यम से एडवांस बनाया गया है। इस प्रजाति की फसल सबसे कम समय में अधिक उत्पादन देगी। आलू के अगले सीजन में किसानों को बीज उपलब्ध करा दिया जाएगा। इससे किसानों का अच्छा मुनाफा होगा।

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डाॅ. मनोज बताते हैं, “लंबे शोध के बाद कुफरी गंगा प्रजाति को एडवांस बनाया गया है। यह प्रजाति जहां कम समय में तैयार हो जाएगी, वहीं अधिक उत्पादन भी देगी। इसके अलावा इस बीज में रोगों से लड़ने की क्षमता भी अन्य प्रजातियों से ज्यादा होगी।”

यूपी के लिए अनुकूल है प्रजाति

सीपीआरआई के संयुक्त निदेशक मनोज कुमार बताते हैं, “शोध के बाद तैयार की गई कुफरी गंगा प्रजाति अन्य प्रजातियों की अपेक्षा बहुत अच्छी है। यह प्रजाति पूरी यूपी के मौसम के लिए अनुकूल है।” वो बताते हैं, “किसानों का इसका बीज शीघ्र ही उपलब्ध कराया जाएगा। वैज्ञानिक किसान हित में नई प्रजातियों का विकास कर रहे हैं। यह प्रजाति कुफरी गंगा से भी ज्यादा फायदा देने वाली है।”

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वैज्ञानिकों के मुताबिक कुफरी गंगा सबसे कम समय में तैयार होने वाली प्रजाति है। साथ ही इसका उत्पादन भी अच्छा है। कृषि विवि के फार्म में इसका परीक्षण भी किया जा चुका है। 
अशोक चौहान, सहायक मुख्य तकनीकि अधिकरी, सीपीआरआई

वह आगे बताते हैं, “महज 75 दिन में तैयार होकर आलू का आकार भी मध्यम दर्ज का निकला। किसानों को इसके प्रति मेले व अन्य माध्यमों से जागरूक किया जाएगा। ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक हो सके।”

प्रजाति की खासियत

  • उपज 250 से 300 कुंतल प्रति हेक्टेयर
  • अवधि 75 से 80 दिन में तैयार
  • भंडारण गुणवत्ता- अच्छी
  • रोग प्रतिरोधी क्षमता- होपर एवं माइट से प्रतिरोधी है
  • आलू कंद-सफेद क्रीम, अंडाकरण, उथली आंखें, गूदा सफेद क्रीमी
  • शुष्क पदार्थ-18 प्रतिशत
  • विशेष गुण- अगेती फसल के लिए सबसे उपयुक्त

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