क्या आप जानते हैं, मेंथा के ठंडे-ठंडे तेल के लिए किस अग्निपरीक्षा से गुजरता है किसान, देखिए वीडियो

Update: 2017-06-20 13:25 GMT
मेंथा की पेराई करता किसान।

बाराबंकी। जब शहरों में लोग अपनी चार पहिया गाड़ी से भी निकलना मुनासिब नहीं समझते हैं उस वक्त किसान तपती धूप में भट्टी को झोंकता हुआ मेंथा की पेराई करता है क्या कभी आपने सोचा है कि जिस ठंडे तेल को लगा कर हम सुकून महसूस करते हैं, उस ठंडे तेल का उत्पादन करने में किसान कितना तपता होगा?

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किसान मार्च-अप्रैल के महीने में मेंथा की रोपाई करते हैं, उसके बाद दिन-रात मेंहनत करके फसल की देख रेख करते हैं। फसल की सिंचाई से लेकर निराई-गुड़ाई तक हर वक्त किसान को फसल का ध्यान रखना होता है, क्योंकि अगर समय पर मेंथा की सिंचाई नहीं की गई या निराई गुड़ाई नहीं की गई तो किसान को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके बाद जब फसल पूरी तरह से कटाई के लिए तैयार हो जाती है तब किसान की सबसे बड़ी किसान की अग्निपरीक्षा होती है।

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जिस वक्त आप घर से बाहर दो कदम भी रखने की हिम्मत नहीं कर सकते, उस जून-जुलाई की चिलचिलाती धूप और तपती जमीन पर किसान फसल की कटाई करता है, क्योंकि फसल की पेराई करने से पहले थोड़ा सुखाना पड़ता है। उसके बाद फसल को मेंथा की पेराई करने वाली टंकी पर ले जाकर उसमें भरकर, भट्ठी के नीचे आग जला कर झोंकाई करना शुरू करता है। करीब सात-आठ घंटे तक 45-48 डिग्री तापमान के बीच में आग के पास बैठ कर मेंथा की पेराई के लिए झोंकाई करता है, उसके बाद तेल निकलता है। उसके बाद इस तेल से तरह-तरह के प्रोडक्ट बनाए जाते हैं, जिसका आप निजी जीवन में इस्तेमाल करते हैं।

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