गन्ना किसानों की बढ़ेगी आमदनी, गुड़ के साथ बना सकेंगे सीएनजी 

Update: 2017-07-09 23:03 GMT
गन्ना किसानों को आदमनी में होगी बढ़ोतरी, प्लांट लगाने के लिए सरकार देगी सब्सिडी।

लखनऊ। प्रदेश के गन्ना किसानों के दिन बहुरने वाले हैं। गन्ना किसान अब अपने गांव में गुड़ के साथ ही गन्ना अपशिष्टों से छोटे संयंत्र लगाकर सीएनजी गैस का व्यावसायिक उत्पादन भी कर सकेंगे। उत्तर प्रदेश गन्ना एवं चीनी उद्योग विभाग चीनी मिलों के साथ मिलकर इसकी तैयारी कर रहा है। गन्ना एवं चीनी उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय भुसरेड्डी ने बताया '' किसान गन्ने से निकलने वाले जैव अपशिष्ट से सीएनजी गैस बनाकर उसका उपयोग कर सकें इसके लिए तैयारी की जा रही है।''

उन्होंने बताया इसके लिए चीनी मिलों से भी मदद ली जाएगी। चीनी मिलों इसके लिए निर्देश दिया गया है कि प्रत्येक चीनी मिल एक गांव को गोद लेकर उस गांव के किसानों को जागरूक करके प्रशिक्षित करेंगी। इस सिलसिले में 16 अगस्त से लेकर 31 अगस्त के बीच मेरठ, बलरामपुर, और लखनऊ गन्ना विकास विभाग और उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा विकास बोर्ड सेमिनार आयेाजित करेगा।

सीएनजी गैस वितरण प्लांट।

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गांव में गुड़ बनाने वाली इकाइयों और गन्ना मिलों से बड़ी मात्रा में बायो अपशिष्ट निकलता है। जिसका सही उपयोग नहीं होने से यह पर्यावरण के लिए खतरा बन रहा है। ऐेसे में अगर किसान बायो अपशिष्ट से सीएनजी बनाने लगेगा, तो इससे एक तरफ जहां उसको आर्थिक लाभ होगा। वहीं पर्यावरण का संरक्षण भी होगा। चीनी मिलों से निकलने वाले प्रेसमड को किसानों के लिए लाभदायक सौदा बनाने के लिए व सीएनजी उत्पादन को लेकर पिछले दिनों एक वर्कशाप का आयोजन किया गया। वर्कशाप में देशभर से आए विशेषज्ञों ने इसमें भाग लिया।

गुजरात के किसान इस परियोजना से उठा रहे लाभ

उत्तर प्रदेश राज्य जैव विकास बोर्ड के सदस्य पीएस ओझा ने बताया '' गुजरात जैसे प्रदेश में इस प्रकार की परियोजना का किसानों ने लाभ उठाया है। '' उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में सीएनजी की छोटी इकाइयां लगाने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग की तरफ से सहायता की जा रही है। किसान इसके लिए 25 लाख रुपए के निवेश के लिए प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत 25 से लेकर 35 प्रतिशत तक अनुदान भी ले सकते हैं।

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पीएस ओझा ने बताया कि छोटी इकाइयों को स्थापित कर उत्पादित सीएनजी गैस को आटोमोबाइल के साथ होटल और रेस्टोरेंट में व्यावसायिक उपयोग के इस्तेमाल के लिए भी दिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि चीनी मिले भी इस तरह के संयंत्र स्थापित कर सकती हैं। चीनी मिलें उत्पादित प्रेसमड को ईट-भट्टे वालों को बेच रही हैं। ईट भट्टे वाले इसे कोयले के साथ जला देते हैं, जो पर्यावरण के लिए बहुत घातक है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून्यल भी जैव अपशिष्ट के इस तरह के जलाए जाने को लेकर अपना विरोध जता चुका है।

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