दलहन किसानों को राहत : इस वर्ष भी थोक बाज़ारों में नहीं कम होंगे दालों के दाम

Update: 2017-09-05 19:12 GMT
थोक बाज़ारों में तीन वर्षों से लगातार बढ़ रहे दालों के दाम

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। लगातार तीन वर्षों से दालों का थोक बाज़ार मजबूती से चल रहा है। इस वर्ष दालों के बढ़े रकबे को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले वर्ष के 4,625 रुपए से बढ़ाकर 5,050 प्रति कुंतल कर दिया है। सरकार के इस प्रयास से इस वर्ष भी दालों के थोक बाज़ार को हराभरा रहने की उम्मीद है।

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के बढ़ोखर खुर्द गाँव में चने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। दलहन और तिलहन की खेती के लिए पूरे बुंदेलखंड में यह क्षेत्र प्रसिध्द है। बढ़ोखर खुर्द गाँव में पांच एकड़ में चने की खेती कर रहे किसान प्रेम सिंह ( 57 वर्ष) बताते हैं,'' इस बार भले ही अरहर और उड़द कम हो पर चना अच्छा होगा। गाँव में मौसम को देखते हुए लोगों ने जुताई का काम पूरा कर लिया है। इस हफ्ते से चने की बुआई शुरू कर देंगे।''

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) की केंद्र प्रायोजित योजना के तहत वर्ष 2017-18 में सरकार ने 2.1 करोड़ टन और वर्ष 2020-21 तक 2.4 करोड़ टन दलहन उत्पादन करने का लक्ष्य है। घरेलू दलहनी फसलों की खेती के लिए किसानों को जागरूक करने और उन्हें सस्ते दर पर उन्नत बीज उप्लब्ध करवाने के लिए देशभर में 150 दलहन सीड हब खोले जा रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश में पिछले तीन वर्षों में दलहनी बाज़ार की हालत बताते हुए कृषि विपणन एवं विदेश व्यापार विभाग के सह निदेशक दिनेश चंद्रा बताते हैं,'' यूपी में थोक बाज़ारों में दालों के दाम तेज़ी से बढ़े हैं। बीते तीन सालों में दालों के थोक बाज़ार में दो से तीन हज़ार रुपए प्रति कुंतल का इज़ाफा हुआ है। इस वर्ष दालों के दामों में बढ़ोत्तरी हो सकती है।''

राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद,उत्तर प्रदेश की रिपोर्ट ' प्रदेश स्तर के खरीफ कृषि जिंसों के वार्षिक औसत थोक बाज़ार भाव ' के मुताबिक वर्ष 2014-15 में अरहर दाल का वार्षिक औसत थोक बाज़ार भाव 4,509 रुपए प्रति कुंतल था, जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 7,253 रुपए प्रति कुंतल हो गया।यही बढ़ोत्तरी उड़द, मसूर और चना दालों में भी दिखी।

भारत में दालों के विपणन एवं इसके बाज़ार के चंद्र शेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक (दलहन) डॉ. मनोज कटियार ने बताया, ‘’पिछले दो वर्षों से देश के दलहनी बाज़ार में विदेशी दालों की भरमार थी।इस वर्ष सरकार ने दालों का आयात बंद कर दिया है। इसलिए राष्ट्रीय बाज़ारों में इस बार विदेशी दालें नहीं नज़र आएंगी।इससे थोक बाज़ारों घरेलू दालों की मांग बढ़ेगी।''

देश को दालों की आपूर्ति करने में आत्मनिर्भर बनाने की बात कहते हुए जुलाई माह में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की स्थापना के 89वें वर्षगांठ पर कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा था कि केंद्र सरकार ने मृदा सेहत कार्ड, एग्रो-फॉरेस्ट्री, एकीकृत कृषि और सिंचाई के क्षेत्र में अनेकों योजनाएं शुरू की हैं, जिससे दालहनी फसलों के उत्पादन में देश को आत्म-निर्भरता हासिल करने में मदद मिलेगी और बाज़ारों में विदेशी दालों की जगह धरेलू दालें नज़र आएंगी।

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महाराष्ट्र के जालना जिले में किसान अरहर की खेती व्यापक तौर पर करते हैं। जालना जिले के पत्थौर गाँव में छह एकड़ में अरहर की खेती कर रहे किसान गुरूदत्त शिंदे बताते हैं,'' पिछले साल 15 कुंतल अरहर निकली थी, इस बार एक एकड़ बढ़ाकर अरहर बोई है। अभी यहां पर बारिश बहुत कम हुई है, बारिश अच्छी होगी तो इस बार अरहर पहले से ज़्यादा मात्रा में होगी।''

विश्व खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार उत्तर प्रदेश में देश की कुल दालों का 16 प्रतिशत उत्पादन किया जाता है। इस तरह यूपी देश में अरहर की खेती और उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।

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