सोनभद्र के किसान करेंगे कम पानी में हल्दी की खेती

Update: 2017-06-24 12:56 GMT
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक हल्दी के बीज देते हुए।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। सोनभद्र जिले में किसान पानी की समस्या से जूझते रहते हैं, ऐसे में कृषि विज्ञान केन्द्र ऐसी फसलों की जानकारी दे रहा है, जिससे कम पानी और लागत में किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।

आचार्य नरेन्द्र देव कृषि विद्यालय द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक जिले में किसानों को नयी तकनीक और नई किस्मों की जानकारी देते रहते हैं। इस समय वैज्ञानिक खरीफ में लगाई जाने वाली हल्दी की नई किस्म नरेन्द्र-एक किस्म के बीज वितरित कर रहे हैं।

कृषि वैज्ञानिक केन्द्र, के कृषि वैज्ञानिक डॉ. संजीत कुमार बताते हैं, “इस समय किसान हल्दी की बुवाई करते हैं, इस किस्म की खासियत होती है कि ये प्रदेश भर में कहीं भी की जा सकती है, ये कम पानी में भी ज्यादा उत्पादन देती है।”

ये भी पढ़ें : यूपी में अब बड़े स्तर पर होगी बासमती धान की खेती


आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. विक्रमा प्रसाद पांडेय ने हल्दी की इस किस्म को विकसित किया है। ये किस्म सभी तरह की जलवायु में उगाई जा सकती है साथ ही इसकी खेती देश के सभी प्रदेशों में की जा सकती है। यह गुणवत्ता व मात्रा में भी दूसरी किस्मों के मुकाबले ज्यादा बेहतर है।

ये भी पढ़ें : एक बार लगाने पर कई साल तक हरा चारा देगी ये घास, अपने खेत में लगाने के लिए यहां करें संपर्क

सोनभद्र जिले के घोरावल ब्लॉक के मरसड़ा गाँव के किसान ब्रह्मदेव कुशवाहा बताते हैं, “मैं पिछले कई वर्षों से हल्दी की खेती करते आ रहा हूं, लेकिन इस बार नरेन्द्र-एक ही लगाऊंगा, हमारे यहां सिंचाई की बहुत परेशानी है। इस किस्म में कम पानी में ही ज्यादा पैदावार मिल जाती हैं।”

हल्दी की सफल खेती के लिए उचित फसल चक्र को अपनाना जरूरी होता है। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हल्दी की खेती लगातार उसी जमीन पर न की जाए।

ये भी पढ़ें : इस विधि से बिना मिट्टी के खेती कर सकेंगे किसान

डॉ. संजीत कुमार कहते हैं, “किसान जून के अंतिम सप्ताह से अगस्त के प्रथम सप्ताह तक हल्दी को लगा सकते हैं, जिनके पास सिंचाई सुविधा का अभाव है वे मानसून की बारिश शुरू होते ही हल्दी लगा सकते हैं।

जमीन अच्छी तरह से तैयार करने के बाद पांच-सात मीटर, लंबी तथा दो-तीन मीटर चौड़ी क्यारियां बनाकर 30 से 45 सेमी कतार से कतार और 20-25 सेमी पौध से पौध की दूरी रखते हुए चार-पांच सेमी गहराई पर कंदों को लगाना चाहिए।”

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिएयहांक्लिक करें।

Similar News